एक खूबसूरत पर्यटन स्थल चकराता, यहां हैं कई सारे आकर्षण के केन्द्र
1 min readदेहरादून। पहाड़ की सुंदरता हर किसी को आकर्षित करती है। जो एक पहाड़ की यात्रा करता है, बार-बार इन पहाड़ों की यात्रा पर जाने की चाहत रखता है। उत्तराखंड भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है। उत्तराखंड घुमक्कड़ों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। यहाँ घूमने के लिए काफी कुछ है। कुछ जगहें तो काफी लोकप्रिय हैं और कुछ जगहों के बारे में कम लोगों को पता है। देहरादून जिले में स्थित चकराता उत्तराखंड के सबसे सुंदर हिल स्टेशनों में से एक है। चकराता देहरादून से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। समुद्र तल से 2,118 मीटर की ऊँचाई पर स्थित चकराता टौंस और यमुना नदी के बीच में स्थित है। यह खूबसूरत स्थल जौनसार बावर क्षेत्र के प्रमुख कस्बों में से एक है। ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों ने चकराता को हिल स्टेशन के रूप में विकसित किया था।
चकराता में देखने के लिए कई सारे आकर्षण के केन्द्र हैं। इनमें टाइगर फाल, कनासर, देबवन, लाखामंडल, बुधेर गुफा आदि शामिल हैं।
टाइगर फालः टाइगर फाल चकराता के मुख्य आकर्षणों में से एक है। टाइगर फाल को स्थानीय लोग कराओ पकड़ और कैलू पचढ़ के नाम से जानते हैं। टाइगर फाल चकराता से लगभग 15 किमी. की दूरी पर है। 5 किमी. का ट्रेक करके भी इस जगह पर पहुँच सकते हैं। 90 मीटर की ऊँचाई से गिरने वाला ये जलप्रपात बेहद सुंदर है। टाइगर फाल की एक खासियत ये भी है कि ये झरना दूर से नहीं दिखाई देता है। टाइगर फॉल उत्तराखंड का सबसे ऊंचा झरना है, जिसे देखने के लिए लोग सबसे ज्यादा यहां जाते हैं। जमीन से करीबन 100 मीटर ऊंचा ये झरना, देखने में बड़ा ही खूबसूरत लगता है। कनासरः चकराता अपने हरियाली और सुंदर पहाड़ों के लिए जाना जाता है। चकराता से लगभग 25 किमी. की दूरी पर कनासर नाम की एक जगह है। कनासर में कैंपिंग और रिवर राफ्टिंग का आनंद ले सकते हैं। पहाड़ों में कैंपिंग करने का एक अलग ही मजा है। कनासर में कई सारे लग्जरी टेंट हैं जिनमें पर्यटक ठहर सकते हैं। इसके अलावा वन विभाग का रेस्ट हाउस भी है। चकराता में कैंपिंग, ट्रेकिंग, हाइकिंग, रैपलिंग और रॉक क्लाइम्बिंग जैसी गतिविधियाँ कर सकते हैं।
देबवनः चकराता जंगलों का घर है। यहाँ से चारों तरफ जंगल ही जंगल दिखाई देते हैं। चकराता के देबवन में वर्ड वॉचिंग कर सकते हैं। चकराता से देबवन 13 किमी. की दूरी पर है। देबवन समुद्र तल से 2,200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। देवदार के पेड़ों से घिरा ये जंगल कई पक्षियों का घर है। देबवन जंगल में चैकोर पाट्रिज, हिमालयन वुडपेकर, रसेट स्पैरो, येलो क्राउड वुडपेकर और सिनेरियस वल्चर जैसी कई दुर्लभ पक्षी देखने को मिल जाएँगे। लाखामंडलः लाखामंडल चकाराता क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन मंदिर है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में करीब सवा लाख शिवलिंग हैं। इस मंदिर में शिवलिंग ग्रेफाइट से बना हुआ है। इस पर पानी डालने पर शिवलिंग चमकता है। कहा जाता है कि ये वही जगह है जहां पर दुर्योधन ने पांडवों को ठहराकर उन्हें मारने की कोशिश की थी। पांडव लाक्षागृह से बच निकले थे। लाखामंडल चकराता से लगभग 45 किमी. की दूरी पर है। यहाँ पर कई सारी रहस्यमयी गुफाएँ हैं। बुधेर गुफाः बुधेर चकराता का एक शानदार पर्यटन स्थल है। बुधेर अपनी स्टैलेक्टाइट और स्टैलेग्माइट संरचनाओं के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर कई सारी गुफाएँ हैं। कहा जाता है कि इन गुफाओं का निर्माण पांडवों द्वारा किया गया था। बुधेर टॉप इस जगह का सबसे ऊँचाई पर स्थित स्थान है। बुधेर टॉप समुद्र तल से 2,750 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। ये जगह देवदार और चीड़ के घने जंगलों से ढका हुआ है। ये एशिया के सबसे घने जंगलों में से एक है।
मुंडाली-खडंबाः यदि आप ट्रेकिंग के शौकीन हैं और इसके नए-नए ठिकानों की तलाश में रहते हैं तो यहां आएं। यहीं चकराता के समीप लगभग दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित मुंडाली व खडंबा की पहाड़ियां हैं। ये ट्रेकिंग के लिए पंसदीदा जगहें बनती जा रही हैं। यहां आसपास बने देवी-देवताओं के मंदिर भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। इस जगह के अलावा चकराता में चिलमेरी नेक, यमुना एडवेंचर पार्क, किमोना जलप्रपात, मुंडाली, हनोल, कालसी, हयोऊ टॉप और चुरानी डंडा जैसी जगहों को देख सकते हैं। चकराता उत्तराखंड की सबसे लोकप्रिय जगहों में से एक है। चकराता में कई सारे होटल और होमस्टे हैं।
चकराता को ब्रिटिश काल में छावनी क्षेत्र के रूप में बसाया गया था। 55वीं सिरमौर रेजीमेंट के कर्नल एच.रॉबर्ट ह्यूम ने वर्ष 1869 में चकराता छावनी की स्थापना की थी। इससे पूर्व इस दौरान मसूरी से चकराता की पहाड़ियों से होकर शिमला तक पैदल मार्ग बनाया गया। वर्ष 1927 में चकराता कैलाना छावनी में जिम्नेजियम सिनेमा की दो शाखाएं थीं, जहां केवल गर्मियों में ही सिनेमा दिखाया जाता था। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने वर्ष 1957 में चकराता क्षेत्र का दौरा किया था। उत्तर प्रदेश सरकार में तत्कालीन पर्वतीय विकास राज्यमंत्री रहे गुलाब सिंह पं. नेहरू को चकराता लाए थे।