होम स्टे के जरिए उत्तराखंड की लोक संस्कृति से रूबरू हो रहे पर्यटक
1 min readदेहरादून। होम स्टे के जरिए पर्यटक उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपरागत व्यंजनों से रूबरू हो रहे हैं। पर्यटकों को होम स्टे खूब पसंद आ रहे हैं। उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में पलायन को रोकने में होम स्टे योजना मददगार साबित हो रही है। इससे देश और दुनिया भर के पर्यटकों में उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरागत व्यंजनों के बारे में पता चल रहा है। वहीं, सुनसान पड़े गांव भी गुलजार हो रहे हैं। होम स्टे से जहां स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का जरिया बनता है वहीं होटल से सस्ता होने के कारण पर्यटकों को भी बहुत आकर्षित करता है।
उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में होम स्टे से जुड़कर यहां के स्थानीय युवा स्वरोजगार को अपनाने के साथ ही पर्यटकों को उचित सेवा भी दे रहे हैं, जिससे उत्तराखंड के दुर्गम इलाकों के लोगों की आजीविका में सुधार आया है और सीजन में स्थानीय लोग अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने और पहाड़ के गांवों से हो रहे पलायन को थामने के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा होम स्टे योजना की शुरुआत की गयी थी, जिसमें पर्यटन स्थलों में स्थानीय लोग अपने ही घरों में देश-विदेश के पर्यटकों के लिए ग्रामीण परिवेश में साफ व किफायती आवास सुविधा उपलब्ध करा सकते हैं। यहां पर पर्यटकों को स्थानीय व्यंजन परोसने के साथ ही उन्हें यहां की सभ्यता व संस्कृति और व्यंजनों से परिचित कराया जा रहा है, जिसेे पर्यटक खूब पसंद कर रहे हैं।
पर्यटन सीजन में अक्सर होटल फुल हो जाते हैं, ऐसे में होम स्टे ही पर्यटकों का सहारा बनते हैं। सरकार पलायन रोकने के लिए व क्षेत्र में ही रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से होम स्टे बनाने के लिए अच्छी खासी सब्सिडी भी देती है। पर्यटन विभाग 30 लाख रुपये तक ऋण मुहैया करा रहा है। इतना ही नहीं ऋण पर 50 फीसद सब्सिडी है। बैंक ब्याज पर 50 प्रतिशत और अधिकतम 1.50 लाख रुपये प्रति वर्ष भी पर्यटन विभाग जमा करेगा। ऋण जमा करने के लिए पांच वर्ष का समय दिया गया है। लाभार्थियों का चयन जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जाता है। इस समिति में मुख्य विकास अधिकारी, पर्यटन विभाग के अधिकारी, अग्रणी बैंक प्रबन्धक, महाप्रबन्धक जिला उधोग केन्द्र और परिवहन विभाग सदस्य के रूप में सम्मिलित होते हैं। इसके लिए जो शर्तें हैं उनमें मकान मालिक अपने परिवार के साथ भवन में भौतिक रूप से रह रहा हो।
होम स्टे योजना के तहत भवन का पंजीकरण कराना अनिवार्य है। भवन में 1 से 6 कमरों की व्यवस्था होनी चाहिए। पारम्परिक, पहाड़ी शैली में निर्मित भवनों को प्राथमिकता दी जाती है।
अब सरकार पर्यटकों को ठहरने की सुविधा और स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने को संचालित होम स्टे योजना में सब्सिडी के लिए कमरों की संख्या बढ़ाने की तैयारी कर रही है। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद नीति में संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। वर्तमान में नीति के तहत अधिकतम छह नए कमरों के निर्माण के लिए प्रति कमरा 60 हजार रुपये रुपये की राशि दी जाती है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 में होम स्टे योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत नए कमरों के निर्माण व पुराने कमरों की सजा सज्जा के लिए सब्सिडी दी जाती है। नए कमरों के लिए प्रति कमरा 60 हजार दिए जाते हैं, जबकि पुराने कमरों की मरम्मत व सजा सज्जा के लिए 25 हजार प्रति कमरा दिया जाता है। प्रदेश में अब तक छह हजार से अधिक होम स्टे पंजीकृत हो चुके हैं। होम स्टे योजना से जहां पर्यटकों को सस्ते दरों पर ठहरने के लिए कमरे के साथ प्राचीन संस्कृति और खानपान से रूबरू होने का मौका मिला है।