देहरादून में बरसात में कभी भी कहर बरपा सकती हैं रिस्पना और बिंदाल नदी
देहरादून। बरसात में रिस्पना और बिंदाल नदी देहरादून में कभी भी कहर बरपा सकती हैं। इन नदियों के किनारे बसी बस्तियां खतरे में हैं। भारी बरसात की वजह से ये नदियां कब उफान पर आ जाएं कहना मुश्किल है। इसके अलावा शहर के ज्यादातर नालों पर भी अतिक्रमण व अवैध कब्जे हैं। नेताओं ने वोटबैंक की खातिर ये बस्तियां बसाईं व कब्जे कराए तो सरकारी अफसर इच्छाशक्ति के अभाव में इन्हें हटा नहीं पाए। ऐसे में नदी के बहाव की वजह से यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। देहरादून शहर में रिस्पना और बिंदाल नदी के दोनों तरफ बस्तियां बन जाने से ये नदियां संकरी हो गईं हैं। नदी में उफान आया तो जो लोग इनके किनारे बसे हैं वे खतरे में पड़ सकते हैं। बरसात के दौरान रिस्पना व बिंदाल नदी का पानी आबादी में घुस आता है।
नदी में मलबा जम जाने पर खोदाई की जरूरत भी बताई गई। बरसात को देखते हुए संबंधित विभाग नदी किनारे बसे लोगों को वहां से हटने के लिए कहते हैं लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं। इन बस्तियों में रहने वालों को खतरे का अहसास तो है मगर वे जाने को तैयार नहीं हैं। बस्ती के लोगों का कहना है कि उन्हें सिर छुपाने के लिए जगह चाहिए, तो प्रशासन उपलब्ध नहीं करा रहा। नदी किनारे रहने के कारण बरसात में हर समय खतरा बना रहता है। बरसात में पूरी रात अक्सर जागकर काटनी पड़ती है। नदी में कटान होने के कारण खतरा बढ़ रहा है। यहां सुरक्षा के लिए पुश्तों का निर्माण भी नहीं है। रिस्पना नदी किनारे काठ बंगला बस्ती, वीर गब्बर सिंह बस्ती, बाडीगार्ड, राजीव नगर, आर्य नगर, राजेश रावत कालोनी, महात्मा गांधी, भगत सिंह कॉलोनी, दीपक नगर, मोथरोवाला, गुरु तेग बहादुर कालोनी का बड़ा हिस्सा है। जबकि बिंदाल नदी किनारे की बस्तियों में विजय कालोनी, चुक्खूवाला, जोहडी, कांवली रोड, खुडबुडा, पटेलनगर की चंदशेखर बस्ती, राजीव नगर, ब्रहमपुरी, लोहिया नगर, महबूब कॉलोनी, गांधीग्राम का कुछ इलाका शामिल है।
नगर निगम द्वारा नदी व नालों के किनारे अतिक्रमण और अवैध बस्तियों को हटाने को लेकर कोशिश की जाती है, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के चलते कामयाबी नहीं मिल पाती है। जब भी नगर निगम की टीम अवैध बस्तियों को हटाने के लिए जाती है उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ता है, जिस कारण बैरंग लौटना पड़ता है। राजनीतिक दल वोट बैंक के लिए अवैध बस्तियों को खाली नहीं होने देते हैं।