विश्व की सबसे पवित्र तीर्थयात्राओं में से एक चारधाम यात्रा
1 min read-चार धाम यात्रा के सभी पवित्र स्थल अलग-अलग देवी देवताओं को हैं समर्पित
देहरादून। उत्तराखंड में स्थित चार धामों की यात्रा विश्व की सबसे पवित्र तीर्थयात्राओं में से एक है। इस यात्रा में बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री चार धाम शामिल हैं। चार धाम यात्रा के सभी पवित्र स्थल अलग-अलग देवी देवताओं को समर्पित हैं। केदारनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं और यह भगवान शिव को समर्पित है। बदरीनाथ धाम भगवान बद्री या विष्णु को समर्पित है। गंगोत्री धाम माता गंगा और यमुनोत्री धाम माता यमुना को समर्पित हैं। चारधाम यात्रा का हिन्दू धर्म में बहुत अधिक धार्मिक महत्व है। यह माना जाता रहा है कि प्रत्येक हिंदू को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार इस तीर्थ यात्रा पर जाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि चारधाम यात्रा जीवन भर के पापों को धो कर मोक्ष के द्वार खोलती है। कहा जाता है कि जब कोई तीर्थयात्री चारधाम यात्रा समाप्त करता है, तो वह मन की पूर्ण शांति प्राप्त करता है। यहाँ हर साल लाखों की संख्या में देश-दुनिया से श्रद्धालु आते हैं। चारधाम यात्रा तीर्थयात्रियों के साथ सौहार्द का अनुभव, सुंदर परिदृश्य और तीर्थस्थलों की आध्यात्मिक ऊर्जा आत्मा पर एक अपूरणीय छाप छोड़ती है। यह एक ऐसी यात्रा है जो शारीरिक और मानसिक शक्ति दोनों का परीक्षण करती है। चारधाम यात्रा में हिमालय आपके कदमों का मार्गदर्शन करता है, नदियाँ आपकी ऊर्जा को शुद्ध करती हैं और धाम शांति और परिवर्तन के अभयारण्य बनते हैं।
उत्तराखंड, जिसे देवभूमि या देवताओं की भूमि के रूप में भी जाना जाता है, कई मंदिरों का घर है और पूरे वर्ष भक्तों का स्वागत करता है। उत्तराखंड में श्रद्धालु जिन अनगिनत धार्मिक स्थलों और सर्किटों का दौरा करते हैं, उनमें से सबसे प्रमुख चार धाम यात्रा है। यह तीर्थयात्रा हिमालय की ऊंचाई पर स्थित चार पवित्र स्थलों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा है। ऊंचाई पर स्थित मंदिर हर साल लगभग छह महीने के लिए बंद रहते हैं, गर्मियों में (अप्रैल या मई) खुलते हैं और सर्दियों की शुरुआत (अक्टूबर या नवंबर) के साथ बंद हो जाते हैं। उत्तरकाशी जिले में यमुना नदी के स्रोत के करीब एक संकीर्ण घाटी में स्थित यमुनोत्री मंदिर, देवी यमुना को समर्पित है। उत्तरकाशी जिला देवी गंगा को समर्पित गंगोत्री का भी घर है, जो सभी भारतीय नदियों में सबसे पवित्र है। रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ भगवान शिव को समर्पित है। बद्रीनाथ, पवित्र बद्रीनारायण मंदिर का घर, भगवान विष्णु को समर्पित है। चार धाम यात्रा जितनी दिव्य है उतनी ही कठिन भी लेकिन आत्मा को तृप्त करने वाली है।
चारधाम यात्रा का सीधा संबंध मन, विचार और आत्मा की शुद्धि से है। कहते हैं कि भाव के साथ की गई चारधाम यात्रा अंतर्रात्मा को बदलने की ताकत रखती है। इस यात्रा ने तमाम सामाजिक दायरों को लांघकर सांस्कृतिक एवं सामरिक दृष्टि से भी पूरे देश के भूगोल को एक सूत्र में पिरोया है। इस यात्रा ने इंसानियत को कई स्तरों पर जोड़ने का संदेश देकर सहिष्णुता और आपसी विश्वास की अनुपम भावनाओं को सुनिश्चित एवं सिंचित किया है। यही वजह है कि जब हम चारधाम की यात्रा पर होते हैं, तो प्रकृति के स्वच्छ-निर्मल एवं नयनाभिराम नजारों के बीच जीवन की सभी सांसारिक उलझनों को पीछे छोड़ देते हैं। यह ऐसे क्षण हैं, जब हम न सिर्फ तनावमुक्त हो जाते हैं, बल्कि अंतर्मन में खुशी का अहसास भी करने लगते हैं। हममें खुलकर जीने की उत्कंठा पैदा हो जाती है। इसीलिए चारधाम यात्रा को जीवन की यात्रा भी कहा गया है। चारधाम यात्रा का शुभारंभ गंगाद्वार हरिद्वार से माना गया है, जो कि श्रीविष्णु के साथ शिव का द्वार भी है। पहाड़ की कंदराओं से उतरकर गंगा पहली बार यहीं मैदान में दृष्टिगत होती हैं। इसलिए हरिद्वार को गंगाद्वार भी कहा गया है। पुराणों में सर्वप्रथम यमुनोत्री धाम के दर्शनों की सलाह दी गई है।
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरु हो चुकी है। देशभर से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री चार धामों के दर्शन को पहुंच रहे हैं। लोगों में चारधाम यात्रा को लेकर खासा उत्साह बना हुआ है। तीर्थयात्री बड़ी संख्या में चारधाम यात्रा पर पहुंच रहे हैं। यमुना नदी का स्रोत, यमुनोत्री धाम उत्तरकाशी जिले में समुद्र तल से 3293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यमुनोत्री मंदिर हिमालय के ग्लेशियरों और थर्मल स्प्रिंग्स से घिरा हुआ है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार यमुना, मृत्यु के देवता यम की बहन हैं। ऐसा माना जाता है कि यमुना में स्नान करने से शान्ति मिलती है। गंगोत्री मंदिर देवी गंगा को समर्पित है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंगोत्री धाम वह स्थान है जहां गंगा नदी स्वर्ग से उतरी थी जब भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं से छोड़ा था। समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, गंगोत्री उत्तरकाशी जिले में स्थित है। केदारनाथ धाम हिमालय की गोद में स्थित रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र ताल से 3553 मीटर की ऊंचाई पे स्थित है। केदारनाथ धाम भगवान शिव को समर्पित है। यह न केवल चारधाम यात्रा के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थों में से एक है, बल्कि इस प्राचीन मंदिर को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भी माना जाता है। इसके अलावा, केदारनाथ, कल्पेश्वर, तुंगनाथ, मदमहेश्वर और रुद्रनाथ मंदिर एक साथ पंच केदार बनाते हैं। बदरीनाथ धाम नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है। बद्रीनाथ धाम समुद्र ताल से 3300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह चमोली जिले में स्थित है। बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित है, जिन्हें दिव्य हिंदू त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु और शिव) का रक्षक और संरक्षक माना जाता है। इन महत्वपूर्ण कारणों के अलावा, बद्रीनाथ धाम को चारधाम यात्रा में इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह वह स्थान है जहाँ आदि शंकराचार्य ने मोक्ष प्राप्त किया था, इस प्रकार, पुनर्जन्म की प्रक्रिया से अपनी स्वतंत्रता प्राप्त करते हैं।