क्षमता से दोगने कैदी बंद हैं उत्तराखंड की जेलों में 

देहरादून। उत्तराखंड की जेलों में क्षमता से दोगने कैदी बंद हैं। राज्य की 10 सामान्य जेलों में उनकी क्षमता 3461 से लगभग दुगने 6603 कैदी बंद हंै। प्रदेश में केवल दो जेलें ही ऐसी हैं जिसमें निर्धारित स्वीकृत क्षमता से कम कैदी बंद है। इनमें सम्पूर्णानन्द शिविर सितारगंज (खुली जेल) में 48 सजायाफ्ता कैदी बंद हैं। कारागार चमोली की क्षमता 169 कैदियों की हैं, इसकी अपेक्षा 76 प्रतिशत 128 कैदी ही बंद हैं। यह खुलासा सूचना अधिकार के तहत ली गई सूचना में हुआ है।
सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने महानिरीक्षक कारागार (कारागार मुख्यालय) से उत्तराखंड राज्य की जेलों में बंदियों की क्षमता तथा वर्तमान में बंद कैदियों की संख्या के सम्बन्ध में सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में मुख्यालय कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा विभाग उत्तराखंड के लोक सूचना अधिकारी/प्रशानिक अधिकारी मनोज खोलिया ने अपने पत्रांक 380 दिनांक 15 फरवरी 2024 से जेलों की क्षमता तथा बंदियों का विवरण उपलब्ध कराया है।  उपलब्ध सूचना के अनुसार सम्पूर्णानन्द शिविर जेल सितारगंज (खुली जेल) तथा जिला कारागार चमोली के अतिरिक्त सभी जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद है। क्षमता से सर्वाधिक अधिक 347 प्रतिशत कैदी 102 क्षमता वाली जिला कारागार अल्मोड़ा में 354 कैदी है। दूसरे स्थान पर क्षमता के 271 प्रतिशत कैदी 555 क्षमता वाली उपकारागार हल्द्वानी में 1502 कैदी है। इसमें तीसरे स्थान पर क्षमता के 258 प्रतिशत कैदी 580 क्षमता वाली जिला कारागार देहरादून में 1499 कैदी बंद है। चैथे स्थान पर क्षमता के 239 प्रतिशत कैदी 71 क्षमता वाली जिला कारागार नैनीताल में 170 कैदी बंद है। पांचवें स्थान पर क्षमता के 180 प्रतिशत कैदी 244 क्षमता वाली रूड़की उपकारागार में 439 कैदी बंद है। छठे स्थान पर क्षमता के 151 प्रतिशत कैदी 888 क्षमता वाली जिला कारागार हरिद्वार में 1340 कैदी बंद है। सातवें स्थान पर क्षमता के 146 प्रतिशत कैदी 552 क्षमता वाली केन्द्रीय कारागार सितारगंज में 805 कैदी बंद है। आठवें स्थान पर क्षमता के 132 प्रतिशत कैदी 150 क्षमता वाली जिला कारागार टिहरी में 198 कैदी बंद है। नवें स्थान पर क्षमता के 112 प्रतिशत कैदी 150 क्षमता वाली जिला पौड़ी में 168 कैदी बंद है।
प्रदेश में केवल दो जेलें ही ऐसी हैं जिसमें निर्धारित स्वीकृत क्षमता से कम कैदी बंद है। इसमें एक विशेष जेल सम्पूर्णानन्द शिविर (खुली जेल) सितारगंज है जिसमें केवल सजायाफ्ता कैदियों को ही रखा गया है। इसकी क्षमता 300 कैदियों की है जबकि इसकी क्षमता के मात्र 16 प्रतिशत 48 कैदी ही इसमें बंद है। इसके अतिरिक्त सामान्य जेलों में स्वीकृत क्षमता से कम कैदियों वाली एकमात्र जेल जिला कारागार चमोली है। इसमें उसकी क्षमता 169 की अपेक्षा 76 प्रतिशत 128 कैदी ही बंद हैं।
सूचना अधिकार व मानवाधिकार कार्यकर्ता एडवोकेट नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों पर चिन्ता व्यक्त करते हुये, इसे कैदियों के संवैधानिक व मानव अधिकारों का हनन बताया है और उन्होंने उत्तराखंड के बड़े शहरों काशीपुर तथा रूद्रपुर में नयी जेलों, उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चम्पावत में जिला जेलों के निर्माण सहित वर्तमान जेलों की क्षमता बढ़ाने अधिक कैदियों को सामान्य के स्थान पर खुली जेल में रखने तथा कानूनों व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अन्तर्गत छोडे़ जाने योग्य कैदियों को सजा माफी, जमानत तथा पैरोल पर छोड़े जाने की मांग की है। इससे जहां कैदियों के अधिकारों की रक्षा होगी, वही इन पर किया जाने वाला सरकार का खर्च भी बचेगा।

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