थलीसैंण के जैंती डांग गांव के मरीज डंडी कंडी के सहारे

श्रीनगर गढ़वाल। यूं तो उत्तराखंड के गांवों से पलायन बड़ी संख्या में हो रहा है। गांवों के खाली हो जाने से इन्हें भूतहा गांव के रूप में पुकारा जाने लगा है, लेकिन जिन गांवों में लोग रह भी रहे हैं, वहां आज भी लोग बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था से दो चार हो रहे हैं। उत्तराखंड राज्य गठन के 2 दशक बाद भी मरीजों या घायलों को डंडी कंडी के सहारे अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। ऐसी ही तस्वीरें थलीसैंण से सामने आई है। जहां ग्रामीणों ने बीमार महिला को डंडी कंडी पर लादकर सड़क तक पहुंचाया, फिर वहां से अस्पताल भेजा।
जानकारी के मुताबिक, पौड़ी जिले के थलीसैंण के चैथान पट्टी के जैंती डांग गांव में एक हफ्ते पहले बादल फटा था। जिसके चलते घरों में मलबा घुस गया था। साथ ही सड़क और रास्ते तबाह हो गए थे। ऐसे में ग्रामीण लगातार घरों से मलबा निकालने में जुटे हुए थे। इसी बीच अचानक एक महिला बसंती देवी की तबीयत बिगड़ गई, लेकिन सड़क मार्ग क्षतिग्रस्त होने से महिला को अस्पताल पहुंचाने की समस्या खड़ी हो गई।
ऐसे में ग्रामीणों ने महिला को मुख्य मोटर मार्ग तक पहुंचाने के लिए डंडी कंडी का बंदोबस्त किया। जिसके बाद ग्रामीण महिला को डंडी कंडी में लादकर अस्पताल की तरफ निकले। डांग गांव को जोड़ने वाले सारे रास्ते बादल फटने के कारण टूट गए थे। ऐसे में ग्रामीण जान जोखिम में डालकर महिला को डंडी कंडी के सहारे मुख्य मार्ग तक लाए। जहां से महिला को वाहन में बैठाकर अस्पताल ले जाया गया।
ग्रामीण बलबीर जैंतवाल ने बताया कि सरकार को यहां पर इमरजेंसी टीम तैनात करनी चाहिए। अगर स्थिति खराब होती है तो ग्रामीणों के लिए इमरजेंसी के लिए खाने पीने की व्यवस्था रहने की व्यवस्था करनी चाहिए। व्यवस्थाएं ने होने से गांव के लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मामले में श्रीनगर उपजिलाधिकारी नूपुर वर्मा ने बताया कि मामला जैंती डांग गांव का है। जैंती डांग में बीते देर रात एक महिला बसंती देवी पत्नी खुशहाल सिंह के पेट में दर्द हो गया था। ऐसे में परिजन उसे सुबह बाघाट ले गए। जो अभी बाघाट में ही है और स्वस्थ बताई जा रही है। संबंधित गांव के लिए सड़क बनाने का काम तेज गति से किया जा रहा है। जो सड़कें आपदा के कारण टूटी हैं, उन्हें बनाया जा रहा है।

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