विनसर में वनकर्मियों की मौत की घटना दुखद, सरकार और संगठन आश्रितों के साथ खड़ीः भट्ट

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देहरादून। भाजपा ने वनाग्नि  में वन कर्मचारियों की मौत को दुखद बताते हुए सरकार द्वारा बचाव की कोशिश को संतोषजनक बताया। पार्टी ने लापरवाही के लिए अधिकारियों पर कार्यवाही को उचित कदम बताते हुए विपक्ष से भी आपदा की घड़ी मे विपक्ष के आक्रामक रवैये को निराशाजनक बताते हुए संयम बरतने की अपील की है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने विनसर अभ्यारण में आग बुझाते हुए 4 वनकर्मियों की मौत को पर्यावरण रक्षा में हुई शहादत बताया और पीड़ित परिवार को सरकार तथा संगठन से हर संभव मदद का भरोसा दिया है। साथ ही इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में घायल अन्य सभी लोगों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है।
भट्ट ने कहा कि इस बार वर्षा में जबरदस्त कमी आने से जंगल में आग की घटनाएं बहुत अधिक बढ़ी हैं । लेकिन मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में वनकर्मियों, फायर फोर्स, पुलिस प्रशासन और एनडीआरएफ एसडीआरएफ ने अग्नि नियंत्रण में हर संभव निरंतर कोशिश की।
जनसभागिता के साथ हुई इन कोशिशों के सफल परिणाम भी सामने आए और वनाग्नि पर नियंत्रण भी हो गया था। किंतु प्री मानसून बारिश नही होने से दोबारा वनाग्नि की घटनाएं बढ़ गई हैं, जिसके चलते यह दुखद हादसा हुआ है। लापरवाही बरतने के लिए प्रमुख वन संरक्षक विन्सर अभ्यारण, वन संरक्षक नॉर्थ और डीएफओ समेत शीर्ष अधिकारियों पर सीएम श्री पुष्कर धामी की कार्यवाही की गयी है और संदेश साफ है कि हर सेवक को अपने कर्तव्य का इमानदारी से निर्वहन करना  होगा।
भट्ट ने आपदा की इस दुखद घड़ी मे विपक्ष के रवैये को निराशाजनक और राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि धामी सरकार जहां पूरी तत्परता के साथ मोर्चे पर डटी है तो वहीं, विपक्ष इतने गंभीर और संवेदनशील मुद्दे पर भी राजनीति से बाज नहीं आ रहा। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तराखंड में वनाग्नि में चार वनकर्मियों की मौत को लेकर ट्वीट कर पीड़ित परिवारों को मुआवजा और सहायता की बात कही है। जबकि उत्तराखंड सरकार पहले ही सभी के लिए 10-10 लाख रुपये आर्थिक मदद की बात कह चुकी है। कांग्रेस नेता प्रियंका उत्तराखंड के दवानल पर ज्ञान बांट रही हैं उन्हें हिमाचल में जंगल की आग के आंकड़े  भी सामने रखने चाहिए। इस फायर सीजन में हिमाचल के चंबा, शिमला, हमीरपुर, धर्मशाला सबसे ज्यादा वनाग्नि से प्रभावित रहे हैं और वहां हुई लगभग 1700 घटनाओं में 2500 हेक्टेयर जंगल जलकर स्वाहा हो गया। जिसमे विगत पिछले 15 दिन में 2 महिलाओं की दुखद मौत भी हुई है।  देश भर के राज्यों में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम से लेकर त्रिपुरा तक के जंगल आग की चपेट में हैं।
उन्होंने कहा कि यहां सरकार ने शुरू में वनाग्नि पर पूरी तरह से काबू पा लिया था। लेकिन जून प्रथम सप्ताह की भीषण गर्मी ने फिर वनों को आग की चपेट में ला दिया है। सरकार ने पहले से ही राज्य में चीड़ की पत्तियों को 50 रुपये किलो खरीदने की योजना लागू की गई हैं। इससे करीब 3 हजार मेट्रिक टन चीड़ की पत्ती एकत्र भी की जा चुकी हैं। सरकार ने फिर वनाग्नि पर प्रभावी रोकथाम के प्रयास तेज कर दिए हैं। स्वयं सहायता समूह, ग्रामीणों और वन पंचायत की मदद से वनाग्नि रोकने को कारगर कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक नफा नुकसान को लेकर कुछ लोग कई माध्यमों से वनाग्नि की घटना को सिर्फ उत्तराखंड में दिखाकर सरकार को टारगेट करने की साजिश रच रहे हैं और सरकार की छबी को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं । जबकि देशभर में हिमालयी राज्यों में भड़की आग किसी को नहीं दिख रही है। वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं पर काबू पाने के लिए मुख्यमंत्री धामी सेना से लेकर हर तरह की मदद का ऐलान पूर्व में कर चुके हैं। साथ ही भविष्य में वनाग्नि रोकथाम को बड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

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