जेपी हॉस्पिटल ने 1000 से अधिक सफल किडनी ट्रांसप्लांट कर हासिल की गौरवपूर्ण उपलब्धि

1 min read

देहरादून। दिल्ली-एन.सी.आर. में अग्रणी एवं उत्तर भारत में प्रमुख स्थान रखने वाले, नोएडा स्थित मल्टी सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा संस्थान जेपी हॉस्पिटल, नोएडा  ने प्रत्यारोपण चिकित्सा 1000 से अधिक सफल किडनी प्रत्यारोपण कर एक गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल की है और खास बात यह है कि पूरे दिल्ली-एन.सी.आर. में जेपी हॉस्पिटल में अंगों का प्रत्यारोपण बहुत ही उचित कीमत पर किया जाता है। दुनियाभर से आएं मरीजो का सफल किडनी प्रत्यारोपण कर विश्वास के साथ  विदेश में भी हॉस्पिटल ने एक सम्मानजनक स्थान हासिल किया है।
अपनी उपलब्धि पर पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए डॉ. अनिल प्रसाद भट्ट, डायरेक्टर-डिपार्टमेंट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट  ने कहा कि भारत में हर साल करीब 12000 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट हो रहे है और खराब जीवनशैली के चलते अधिकांश लोग किडनी की समस्याओं से ग्रषित है। ट्रांसप्लांट एक सफल प्रक्रिया है और ट्रांसप्लांट की मदद से मरीजों को नई जिंदगी प्रदान की जाती है लेकिन अभी भी यह देखा गया है कि  लोगों के बीच किडनी दान करने को लेकर जागरूकता की बहुत कमी है जिसके चलते बहुत लोग अपनी जान दांव पे लगा देते है। जब किडनी की कार्यक्षमता केवल 10 प्रतिशत रह जाती है तो उस अवस्था को किडनी फैल्योर कहते हैं और ऐसे में मरीजों के पास सिर्फ डायलिसिस या प्रत्यारोपण का ही रास्ता बच जाता है।
अत्याधुनिक तकनीक और कुशल डॉक्टर्स की टीम के कारण यह उपलब्धि हासिल हुई है। खास बात यह है कि टीम ने क्रांस मैच्ड पॉजिटिव प्रत्यारोपण, ए.बी.ओ. इंकंपैटिबल ट्रांसप्लांटेशन के साथ-साथ एक रोगी का दूसरी या तीसरी बार भी सफल प्रत्यारोपण किया है।
डॉ. अनिल प्रसाद भट्ट  ने क्रोनिक किडनी फैल्योर के बारे में एक बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि वर्तमान का चिकित्सकीय शोध यह बताता है कि किडनी की बीमारी के मुख्य कारणों में मधुमेह, रक्तचाप, नेफ्रैटिस, बिना चिकित्सक के सलाह के पैन किलर एवं अन्य दवाइयों का सेवन करना । जब किडनी की बीमारी लाईलाज अवस्था में पहुंचे तो मरीज को प्रत्यारोपण करा लेना चाहिए क्योंकि इससे जीवन भर डायलिसिस कराने से मरीज को मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही मरीज को इससे कई और लाभ भी मिलते हैं। आर्थिक रूप से मरीज को राहत मिलती है क्योंकि जितनी राशि एक साल में डायलिसिस कराने में मरीज खर्च करते हैं, करीब उतने पैसे में पूरा ट्रांसप्लांट हो जाता है। प्रत्यारोपण के बाद मरीज एक स्वस्थ व्यक्ति की तरह अपनी दिनचर्या पूरी कर सकता है। बच्चों के मामले में यह और भी अधिक लाभकारी है क्योंकि प्रत्योरण के बाद बच्चों के शरीर का विकास सही तरीके से होता है।

Copyright, Mussoorie Times©2023, Design & Develop by Manish Naithani 9084358715. All rights reserved. | Newsphere by AF themes.