कांग्रेस के लिए रामलला नहीं बाबर की मजार रही आस्था का केन्द्रः महाराज

देहरादून। अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में निमंत्रण के बावजूद भी कांग्रेस के शामिल न होने का बड़ा कारण यह है कि उसके शीर्ष नेतृत्व के लिए हमेशा से ही काबूल स्थित बाबर की मजार ही आस्था एवं श्रृद्धा का प्रमुख केन्द्र रही है।
उक्त बात प्रेस को जारी अपने एक बयान में भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कही है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा  समारोह में मंदिर ट्रस्ट के निमंत्रण के बावजूद भी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का शामिल न होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का पीढ़ी दर पीढ़ी काबूल स्थित बाबर की मजार से आस्था एवं श्रृद्धा का अटूट रिश्ता रहा है। कांग्रेस सरकार में विदेश मंत्री रहे कद्दावर नेता नटवर सिंह ने अपनी किताब श्वन लाइफ इज नॉट एनफश् में स्पष्ट लिखा है कि 1959 में जवाहरलाल नेहरू, 1968 में इंदिरा गांधी, 1976 में राजीव गांधी और 2005 में राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह के साथ अफगानिस्तान में बाबर की कब्र का दौरा किया और कब्र पर श्रद्धांजलि भी अर्पित की। इसलिए सनातन विरोधी कांग्रेस ने आमंत्रण मिलने के बाद भी रामलला के दर्शन करना उचित नहीं समझा।
नटवर सिंह ने अपनी पुस्तक में यह भी लिखा है कि इंदिरा गांधी बाबर की कब्र पर फूल चढ़ाने काबुल गई थीं और अफगानिस्तान में बाबर की कब्र पर इंदिरा गांधी ने दावा किया था कि वह उनके उत्तराधिकारी हैं और देश उनके नियंत्रण में है। यही कारण है कि कांग्रेस अपने सहयोगियों द्वारा सनातन धर्म के अपमान पर चुप्पी साध लेती है। इसलिए आज हमें यह तय करना होगा कि देश की सत्ता को भगवान श्री राम में आस्था रखने वाले चलायेंगे या बाबर की मजार पर श्रृद्धा सुमन अर्पित करने वाले राम द्रोही।

Copyright, Mussoorie Times©2023, Design & Develop by Manish Naithani 9084358715. All rights reserved. | Newsphere by AF themes.