छठे वित्त आयोग की समीक्षा बैठकः जिले की विकास योजनाओं पर गहन चर्चा, जनप्रतिनिधियों ने रखे सार्थक सुझाव

देहरादून। छठे वित्त आयोग की जिला स्तरीय बैठक बुधवार को देहरादून जिला पंचायत सभागार में आयोग के अध्यक्ष एन. रविशंकर (से.नि. मुख्य सचिव) की अध्यक्षता में हुई। बैठक में स्थानीय नगर निकायों, त्रि़स्तरीय पंचायत संस्थाओं के जन प्रतिनिधियों, राजनैतिक दलों एवं अधिकारियों के साथ निकायों का मास्टर प्लान, शहरी विकास और स्व राजस्व बढ़ाने पर गहनता से चर्चा हुई। बैठक में छठे वित्त आयोग के सदस्य पीएस जंगपांगी एवं डा.एमसी जोशी भी मौजूद थे। निकाय एवं पंचायत प्रतिनिधियों ने क्षेत्र के विकास हेतु बजट, योजनाओं की आवश्यकता और स्थानीय प्राथमिकताओं को लेकर अपने सुझाव राज्य वित्त आयोग को दिए। जनप्रतिनिधियों ने नगर निकायों में सम्मलित ग्रामीण वोर्डो में मूलभूत सुविधाएं का अभाव, शहरों में कूडा निस्तारण के लिए ट्रैचिंग ग्राउंड की कमी, ग्राम पंचायत में कूडा निस्तारण की समस्या, मृत पशुओं के डिस्पोसल, सीवरेज सिस्टम, जल भराव, पार्किंग और शहरों में फ्लोटिंग पोपूलेशन से हो रही समस्याएं प्रमुखता से आयोग के समक्ष रखी। जनप्रतिनिधियों ने वित्त आयोग से मिलने वाली धनराशि को बढ़ाने की पेशकश की। पंचायत प्रतिनिधियों ने कहा कि आयोग से शहरी क्षेत्रों में 60 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों को 40 प्रतिशत रेश्यों के हिसाब से धनराशि आवंटित की जाती है, जबकि दुर्गम परिस्थितियों में ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी अधिक समस्याएं है। इस रेश्यों को उल्टा करके ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 60 प्रतिशत और शहर के लिए 40 प्रतिशत करने पर भी विचार किया जाना चाहिए। जनप्रतिनिधियों ने कहा कि अधिकतर खनन ग्रामीण क्षेत्रों में होता है। खनन राजस्व में भी कुछ अंश पंचायतों को मिलना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण में भी पंचायतों की महत्वपूर्ण भूमिका है। पंचायतों को ग्रीन बोनस भी मिलना चाहिए। इस दौरान जनप्रतिनिधियों ने अपने प्रस्ताव भी आयोग को दिए।
आयोग के अध्यक्ष एन.रविशंकर ने राज्य वित्त आयोग की भूमिका एवं कार्यप्रणाली की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आयोग की भूमिका मुख्य रूप से राज्य सरकार और स्थानीय निकाय व पंचायतों के बीच वित्तीय संसाधनों के वितरण की सिफारिश करना है। ताकि स्थानीय निकायों व पंचायतों को पर्याप्त वित्तीय संसाधन मिले और वे अपने कार्यो को प्रभावी ढंग से कर सके। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से विकास कार्यो के पंच वर्षीय प्रस्ताव के साथ अगले 20 वर्षों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं तैयार करने पर जोर दिया। अध्यक्ष ने कहा कि जो योजनाएं केंद्र, राज्य और जिला सेक्टर में स्वीकृत नहीं है उनको वित्त आयोग से मिलने वाली धनराशि से पूरा कराया जाना चाहिए। निकाय व पंचायतों के पास जनहित में यदि कोई विशेष प्रोजेक्ट है, तो इसके लिए आयोग अलग से सिफारिश कर सकता है। अध्यक्ष ने कहा कि शहरीकरण एक सतत प्रक्रिया है। शहरों में जनसंख्या घनत्व तेजी से बढ रहा है। शहरों में बेहतर प्लानिंग, तकनीकी और इंटीग्रेटेड एप्रोच के साथ विकास कार्य किए जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों ने जो महत्वपूर्ण सुझाव दिए है, उनको आयोग अपनी संस्तुति के साथ राज्य सरकार के समक्ष रखेगा। आयोग ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए व्यापक अभियान चलाने पर भी जोर दिया। बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, जिला पंचायत सदस्य, ब्लाक प्रमुख, क्षेत्र पंचायत सदस्य, नगर निकायों के अध्यक्ष, पार्षद, ग्राम प्रधान, सहित मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह, परियोजना निदेशक डीआरडीए विक्रम सिंह, निकायों के अधिशासी अधिकारी आदि मौजूद थे।

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