शीतकाल के लिए बंद हुए यमुनोत्री धाम के कपाट
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उत्तरकाशी। भैया दूज के पावन पर्व पर चारधाम यात्र के प्रथम तीर्थ (धाम) यमुनोत्री मंदिर के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण और विशेष पूजा अर्चना के बाद शीतकाल के लिए 12 बजकर 30 मिनट पर बंद कर दिए गए है। इस अवसर पर धाम मां यमुना के जयकारों से गूंज उठा। इसके बाद मां यमुना की उत्सव मूर्ति डोली यात्रा के साथ शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली गांव के लिए रवाना हुई। अब अगले छह माह तक मां यमुना श्रद्धालुओं को खरसाली गांव में दर्शन देगी। यहीं पर उनकी नित्य पूजा संपन्न होगी। इस वर्ष यमुनोत्री धाम के कपाट परंपरा अनुसार अक्षय तृतीय पर 30 अप्रैल को खोले गए थे। परंपरा के अनुसार सुबह से ही धाम में मां यमुना की विशेष पूजा अर्चना के बाद कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद श्रद्धालुओं ने मां यमुना के दर्शन किए और यमुना में स्नान किया। वहीं गुरुवार को शनिदेव महाराज की डोली यमुनोत्री धाम में पहुंची, जिसके बाद शनिदेव महाराज ने यमुना नदी में स्नान किया और अपनी बहन मां यमुना के साथ विशेष पूजा में शामिल हुए।
वहां तीर्थ-पुरोहितों ने यमुनोत्री धाम में मां यमुना और शनिदेव महाराज की विशेष पूजा-अर्चना की गई। वहीं पूजन के बाद तय मुहूर्त के अनुसार 12 बजकर 30 मिनट पर यमुनोत्री मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए। यहां से यमुना जी की उत्सव मूर्ति को डोली यात्रा के साथ विदा किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में तीर्थ पुरोहित और श्रद्धालु मौजूद रहे। यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहित पुरूषोत्तम उनियाल ने बताया कि यमुनोत्री धाम के कपाट विधिविधान के साथ बंद कर दिए गए हैं। इसके बाद श्रद्धालु अब छह माह तक मां यमुना के दर्शन शीतकालीन प्रवास खरसाली गांव में करेंगे। उन्होंने राज्य सरकार से सर्दियों में खरसाली तक यात्री सुविधाएं बहाल रखने की मांग की। ताकि शीतकालन यात्रा सही से चले, जिससे यात्रा से जुड़े लोगों का स्वरोजगार चलता रहे।
कपाट बंद होने के बाद शनिदेव की अगुवाई में मां यमुना की भोगमूर्ति और उत्सव डोली,ढोल नगाड़ा व संखनाद की धुन में शीतकालीन प्रवास खरसाली गद्दीस्थल मंदिर के लिए रवाना हो गई। यमुनोत्री में बर्फबारी के चलते अब शीतकाल में मां यमुना की पूजा-अर्चना एवं देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के दर्शन खरसाली मंदिर में ही होंगे, जहाँ अगले छह माह तक धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किए जाएंगे। धाम परिसर ‘जय मां यमुना’ के जयकारों से गूंज उठा। बर्फ से ढके पर्वतों और ठंडी हवाओं के बीच जब मां यमुना की डोली यात्रा के लिए रवाना हुई तो श्रद्धालुओं की आंखें आस्था और भावनाओं से नम हो उठीं। कपाट बंद होने की इस अवसर पर मंदिर समिति के अधिकारी ,कर्मचारी,उपजिलाधिकारी बृजेश कुमार तिवारी सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।
यमुनोत्री धाम में इस साल 6,45,000 श्रद्धालुओं ने मां यमुना के दर्शन कर पूजा अर्चना की। श्रद्धालुओं के चढ़ावे और भेंट से यमुनोत्री मंदिर समिति को करीब 50 लाख रुपए की आय हुई है। गत वर्ष की अपेक्षा श्रद्धालुओं की आवाजाही में थोड़ी कमी आई। यमुनोत्री मंदिर समिति के प्रवक्ता पुरुषोत्तम उनियाल और कोषाध्यक्ष प्रदीप उनियाल सचिव सुनील उनियाल ने बताया कि इस बार पिछले साल की अपेक्षा श्रद्धालुओं में कमी के साथ ही थोड़ी बहुत आय में भी कमी आई है। इस बार मंदिर समिति को दान पात्र और रसीद बुकों से करीब 50 लाख रुपए की चढ़ावा प्राप्त हुआ।