जौनसार बावर दसऊ पट्टी में पांच दिवसीय दिवाली शुरू,

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विकासनगर। जौनसार बावर के आराध्य देव छत्रधारी चालदा महासू महाराज मंदिर दसऊ में पांच दिवसीय दिवाली का आगाज हो गया है। होले (मशालें) जलाकर पांच दिवसीय दिवाली की शुरुआत हुई। इस दौरान खत पट्टी दसऊ पशगांव के करीब 15 गांवों के लोग ढोल दमऊ की थाप पर मंदिर परिसर पंहुचे। उत्तराखंड के देहरादून जिले के जौनसार बावर क्षेत्र मे खत पट्टी दसऊ पशगांव के मंदिर मे छत्रधारी चालदा महासू महाराज करीब दो सालों से अधिक समय से विराजित हैं। देवता के प्रति जौनसार बावर सहित हिमाचल ,गढ़वाल और अन्य क्षेत्रों के लोगों मे अटूट आस्था और विश्वास है। देवता के दर्शनों में प्रतिदिन सैकेड़ों की संख्या में श्रद्धालु शीश नवाते हैं।सोमवार को चालदा महासू मंदिर दसऊ मे पांच दिवसीय दीवाली का आगाज हो गया है। खत पट्टी दसऊ के करीब 15 गांवों के लोग देर रात्रि में हाथों में भिमल की पतली लकड़ियों से बनाए गए होले (मशालें) जलाकर ढोल दमाऊ की थाप पर नाचते गाते मंदिर परिसर में पंहुचे। जहां लोक गीतों के साथ ही चालदा महाराज के जयकारे भी गुज्यमान रहे। इस बार की दिवाली खास है है। इसके बाद देवता अगले पड़ाव प्रवास यात्रा के लिए निकल जाएंगे। छत्रधारी चालदा महाराज का अगला पड़ाव हिमाचल प्रदेश के पश्मी में है। छत्रधारी चालदा महाराज चलायमान देवता हैं। यह देवता एक स्थान पर एक- दो सालों तक रहते हैं। उसके बाद आगे की यात्रा शुरू हो जाती है। इस साल खत पट्टी दसऊ पशगांव में आखरी दिवाली मनाई जा रही है। जौनसार बावर क्षेत्र बावर क्षेत्र मे भी नई दीवाली मनाई जाती है। जौनसार क्षेत्र के अधिकांश खत पट्टियों में ठीक एक महिने बाद बूढ़ी दीवाली मनाई जाएगी।
बूढी दीवाली में चिवड़ा और अखरोट का बड़ा महत्व है. बूढ़ी दीवाली में नौकरी पेशा लोग भी छुट्टियां लेकर गांव आते हैं. अपनी पारम्परिक संस्कृति मे सराबोर होकर लोक गीतों की छटा बिखेरते हैं. इस दौराम पंचायती आगंन गुलजार होते हैं. बूढ़ी दिवाली में बम पटाखें नहीं फोड़े जाते हैं. यह दिवाली ईको फ्रेंडली होती है.

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