उत्तराखंड में स्वरोजगार का बड़ा माध्यम बनकर उभर रही सौर ऊर्जा

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देहरादून। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में सोलर खेती से उत्पादित हरित ऊर्जा बंजर खेतों में नई उम्मीद और उमंग भर रही है। सौर स्वरोजगार योजना के अंतर्गत आवंटित 250 मेगावाट की परियोजनाओं में लगभग 210 मेगावाट के सौर संयंत्र पर्वतीय जिलों में लग रहे हैं। इन जिलों में भी टिहरी और उत्तरकाशी का प्रदर्शन अधिक उत्साहवर्द्धक है। सौर स्वरोजगार योजना पर्वतीय क्षेत्रों में स्वरोजगार का बड़ा माध्यम बनकर उभर रही है। पलायन समेत विभिन्न कारण से बंजर पड़े खेतों में अब लोग सोलर ऊर्जा सयंत्र लगा रहे हैं। स्थानीय लोग अच्छी-खासी संख्या में अपने खेतों में सौर संयंत्र स्थापित कर हरित ऊर्जा के उत्पादन के लिए आगे आ रहे हैं।
इस योजना के अंतर्गत 20 से 200 किलोवाट तक सौर संयंत्र स्थापित करने पर 20 से 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। इन संयंत्रों को लगाने के लिए महिलाओं, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के साथ दिव्यांगजन के लिए पांच प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान की व्यवस्था है। साथ में संयंत्र की स्थापना करने के लिए ऋण पर चार प्रतिशत सब्सिडी का भी प्रविधान है। प्रदेश में 50 मेगावाट क्षमता से अधिक संयंत्र स्थापित हो चुके हैं। इन संयंत्रों से उत्पादित बिजली की खरीद के लिए ऊर्जा निगम के साथ पावर पर्चेज एग्रीमेंट हो चुका है। इसके अंतर्गत निगम के साथ 25 वर्ष तक बिजली खरीद का अनुबंध किया जा रहा है। 200 मेगावाट के लिए पावर पर्चेज एग्रीमेंट की प्रक्रिया चल रही है। पर्यावरण और पारिस्थितिकी के अनुकूल इस हरित ऊर्जा को लेकर केंद्र सरकार महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित कर चुकी है। इस लक्ष्य की पूर्ति में उत्तराखंड भी तेजी से योगदान दे रहा है। पर्वतीय खेतों में सौर संयंत्र स्थापित होने से सौर ऊर्जा मिलने से राज्य को बिजली संकट से निपटने में सहायता मिलने के साथ ही योजना के लाभार्थी उद्यमियों की आर्थिकी भी सशक्त हो रही है।
उत्तराखंड ने कभी ऊर्जा प्रदेश बनने का सपना देखा था, इस सपने को हाइड्रो प्रोजेक्ट तो पूरा नहीं कर पाए, लेकिन सौर ऊर्जा इसके लिए राज्य को नई उम्मीद दे रहा है। इस दिशा में सकारात्मक प्रयास राज्य की ऊर्जा के क्षेत्र में दशा को बदल सकते हैं। बिजली न पहुंचने के कारण उत्तराखंड के कई ऐसे गांव हैं, जो शाम ढलते ही अंधेरे में डूब जाते हैं। दूरस्थ क्षेत्रों में बिजली पहुंचाना तकनीकी रूप से कुछ मुश्किल भी है और बहुत खर्चीला भी, इन हालातों में सौर ऊर्जा राज्य के सामने एक बेहतर विकल्प के रूप में है। उत्तराखंड ऊर्जा को लेकर करोड़ों रुपए में हर दिन खुले बाजार से बिजली खरीदने पर ही निर्भर है। दरअसल ऊर्जा प्रदेश के रूप में सपना देखने के पीछे यहां से निकलने वाली तमाम नदियां वजह थी, लेकिन कानूनी और पर्यावरणीय अड़चनों में फंसने के बाद यहां जल विद्युत परियोजनाओं को आगे नहीं बढ़ाया जा सका। उत्तराखंड में नदियों के लिहाज से 20,000 मेगावाट तक बिजली उत्पादन की क्षमता आंकी गई है, जबकि राज्य में अभी केवल करीब 3,900 मेगावाट की क्षमता वाली जल विद्युत परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं। उत्तराखंड सरकार ने 13 मार्च 2023 को सौर ऊर्जा नीति को मंजूरी दी थी। इस नीति का उद्देश्य था कि साल 2027 तक राज्य में 2,500 मेगावाट तक ऊर्जा का उत्पादन किया जाए। इसमें राज्य सरकार ने एकल खिड़की प्रणाली लागू करते हुए प्रक्रिया को सरल बनाने की बात कही। इसके अलावा लैंड यूज बदलाव के शुल्क में भी छूट दी गई। सरकारी जमीन पर परियोजना लगाने के लिए निवेशकों को 70 प्रतिशत स्थानीय युवाओं को रोजगार देना अनिवार्य किया गया है। उत्तराखंड में 575 मेगावाट से अधिक की सौर ऊर्जा परियोजना मंजूर की गई हैं, इसमें से भी 235 परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इस दौरान तमाम योजनाओं में आम लोगों को सब्सिडी देकर प्रोत्साहित करने की भी कोशिश की जा रही है। सौर ऊर्जा के तहत न केवल केंद्र सरकार बल्कि राज्य सरकार भी लोगों को सब्सिडी दे रही है। इसमें प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत 11,000 से ज्यादा लाभार्थियों को 90 करोड़ से ज्यादा की सब्सिडी दी जा चुकी है। उत्तराखंड में प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार मिलकर 70 प्रतिशत तक की सब्सिडी दे रहे हैं। इसमें 3 किलोवाट के सिस्टम पर करीब 78,000 तक की सब्सिडी मिल रही है। इसी तरह मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना में भी लोगों को 20 से 200 किलोवाट तक के सोलर प्लांट लगाकर स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उत्पादित होने वाली बिजली को उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा खरीदा जाता है। उत्तराखंड सौर सब्सिडी योजना भी राज्य में चल रही है, जिसमें घरों की चौखट पर सोलर पैनल स्थापित कर बिजली उत्पादित की जाती है। इसमें 1 किलोवाट तक के सिस्टम पर 23,000 प्रति किलोवाट और 3 किलोवाट तक के सिस्टम पर 17,000 रुपए प्रति किलोवाट की राज्य की तरफ से सब्सिडी दी जाती है। राज्य में सौर जल हीटर अनुदान योजना भी चल रही है। इसमें लोगों को जल हीटर स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसमें भी 30 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है।

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