संवेदनशील पर्वतीय क्षेत्रों में सरकार ने नए निर्माण पर लगाई रोक

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देहरादून। उत्तरकाशी के धराली में आई भीषण आपदा के बाद उत्तराखंड सरकार ने पहाड़ों में निर्माण कार्य को लेकर सख्ती दिखाते हुए बड़े फैसले लिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में आपदा प्रबंधन और सुरक्षा को लेकर कड़े निर्देश जारी किए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन, हिमस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों को तत्काल चिन्हित किया जाए, ताकि संभावित खतरे से पहले ही सतर्कता बरती जा सके। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि ऐसे चिन्हित स्थलों पर किसी भी प्रकार की नई बसावट या निर्माण कार्य की अनुमति नहीं होगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चेतावनी दी है कि इन निर्देशों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि उत्तरकाशी जिले के धराली बाजार में बीती पांच अगस्त को खीरगंगा से पानी का सैलाब आया था, जिसने पूरे धराली बाजार को बर्बाद कर दिया है। अब धराली बाजार मलबे के ढेर के नीचे दफन हो चुका है। बीते सात दिनों से धराली में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। फिलहाल राज्य सरकार की तरफ से इस आपदा में 66 लोगों के लापता होने की जानकारी दी है। वहीं पांच लोगों की मौत की बात कही गई है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद रेस्क्यू ऑपरेशन की रोजाना जानकारी ले रही है। सीएम धामी ने कई दिनों तक आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में कैंप भी किया था। रेस्क्यू ऑपरेशन की खुद मॉनिटरिंग की थी। गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय के मुताबिक आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में फंसे करीब 1200 लोगों का रेस्क्यू किया गया है। अब सरकार को प्रयास मलबे में दबी जिंदगियों को ढूंढना है। इसके अलावा आपदा पीड़ितों को राज्य सरकार की तरफ से पांच-पांच लाख रुपए की आर्थिक मदद दी गई है।
वैसे इस समय बढ़ा खतरा हर्षिल घाटी में हेलीपैड पर बनी अस्थाई झील है, जिसकी वजह से गंगोत्री हाईवे भी डूब गया है। ये झील करीब 4 किमी में फैली है और इस झील की वजह से भागीरथी का प्रवाह भी रुक गया है। इसीलिए सिंचाई विभाग समेत अन्य संस्थाओं की टेक्निकल टीम झील को पंचर करने का प्रयास कर रही है, ताकि इस झील से धीरे-धीरे पानी की रिसाव हो और संभावित खतरे को दूर किया जा सके।
सीएम धामी ने नदियों, नालों और प्राकृतिक जल स्रोतों के किनारों पर सरकारी या निजी निर्माण को पूरी तरह प्रतिबंधित करने के आदेश दिए। सभी जिलाधिकारियों को इस संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने और इनके क्रियान्वयन की नियमित निगरानी करने को कहा गया।
उन्होंने चेतावनी दी कि निर्देशों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। साथ ही, आपदा से बचाव के लिए रोकथाम के उपायों को प्राथमिकता देने और जनहित में संवेदनशील क्षेत्रों में ठोस एवं प्रभावी कदम उठाने पर जोर दिया।
बैठक में प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगोली, एडीजी ए.पी. अंशुमान, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते और अपर सचिव बंशीधर तिवारी मौजूद रहे।

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