सहकारी समितियों के लिये संजीवनी साबित होगी नई नियमावलीः डा. धन सिंह घाटे से उभरने में मिलेगी मदद, कर्मचारियों के हितों की होगी रक्षा

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देहरादून। उत्तराखंड बहुउद्देशीय प्रारंभिक कृषि सहकारी ऋण समिति कर्मचारी केंद्रित सेवा नियमावली 2024 को राज्य कैबिनेट की मंजूरी मिलने से प्रदेश के सहकारिता क्षेत्र में नये युग का आगाज हुआ है। राज्य सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले से सहकारी समितियों को घाटे से उभरने में मदद मिलेगी साथ ही समितियों के कर्मचारियों के हितों भी रक्षा होगी।
उत्तराखण्ड के गठन के बाद से एमपैक्स में कार्यरत कर्मचारियों की सेवाओं को नियंत्रित करने के लिए उत्तर प्रदेश की 1976 की नियमावली लागू थी। राज्य के विशेष संदर्भ और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, उत्तराखण्ड सहकारी समिति अधिनियम, 2003 की धारा 122 ’क’ के तहत यह नई नियमावली तैयार की गई है। यह कदम सहकारी समितियों को सशक्त बनाने और कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि उत्तराखंड की बहुउद्देशीय  सहकारी समतियां अब लाभ की स्थिति में देखने को मिलेगी। जिससे बहुउद्देशीय सहकारी समितियों को नई जिंदगी मिलेगी। उत्तराखंड में कई बहुउद्देशीय प्रारंभिक कृषि सहकारी समितियां (पैक्स) घाटे  से जूझ रही हैं, जिसके कारण सचिव, अकाउंटेंट और विकास सहायकों को आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा  था। नई नियमावली के लागू होने से घाटे में चल रही समितियों  को सरकार की ओर से वित्तीय और तकनीकी  सहायता प्रदान की जाएगी। यह सहायता कुछ वर्ष तक जारी रहेगी, जब तक समितियां अपनी परफॉर्मेंस में सुधार कर घाटे से उबरकर सामान्य स्थिति में नहीं आ जातीं। इसके साथ ही, समितियों के लाभ के आधार पर कर्मचारियों के वेतनमान में वृद्धि भी की जा सकेगी, जो कर्मचारियों के लिए एक प्रोत्साहन का काम करेगा और कर्मचारी और भी अधिक मेहनत करेंगे ।

कर्मचारियों के लिए नए अवसर और पारदर्शिता
नई नियमावली के तहत कर्मचारियों को न केवल नियमित वेतनमान का लाभ मिलेगा, बल्कि उनकी कार्यक्षमता और रचनात्मकता को भी नई दिशा मिलेगी। अब सचिव और अन्य कर्मचारी विभिन्न जनपदों की समितियों में कार्य कर सकेंगे। इससे वे अपने नवोन्मेषी विचारों और बेहतर कार्य प्रदर्शन के जरिए घाटे में चल रही समितियों को लाभ की स्थिति में लाने में योगदान दे सकेंगे। सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि यह नियमावली समितियों और कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए बनाई गई है। पुराने कैडर सचिवों के हितों को भी यथावत रखा गया है, ताकि किसी भी कर्मचारी का नुकसान न हो।

गहन अध्ययन के बाद तैयार की गई नियमावली
सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इस नियमावली को लागू करने के पीछे की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हमारी सरकार ने गहन अध्ययन और विचार-विमर्श के बाद इस नियमावली को तैयार किया है। कैबिनेट की मंजूरी के साथ यह नियमावली अब लागू हो चुकी है। यह न केवल घाटे में चल रही समितियों को लाभ की स्थिति में लाने में मदद करेगी, बल्कि सहकारी समितियों में पारदर्शिता और कार्यकुशलता को भी बढ़ाएगी। यह नियमावली सहकारी समितियों और उनके कर्मचारियों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।“

सहकारी समितियों में बढ़ेगी पारदर्शिता
सहकारिता मंत्री डॉ. रावत ने बताया कि, नई नियमावली के लागू होने से बहुउद्देशीय सहकारी समितियों में कार्यप्रणाली में और अधिक पारदर्शिता आएगी। कर्मचारियों को विभिन्न क्षेत्रों में काम करने का अवसर मिलने से समितियों के प्रबंधन और संचालन में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, सरकार की वित्तीय सहायता और कर्मचारियों की मेहनत के बल पर समितियां न केवल आत्मनिर्भर बनेंगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

उत्तराखंड के सहकारिता क्षेत्र में नया अध्याय
यह नियमावली उत्तराखंड के सहकारिता क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ने जा रही है। राज्य सरकार का यह कदम न केवल सहकारी समितियों को आर्थिक रूप से सशक्त करेगा, बल्कि कर्मचारियों के लिए बेहतर कार्य परिस्थितियां और अवसर भी सुनिश्चित करेगा। डॉ. रावत ने विश्वास जताया कि यह नियमावली सहकारी समितियों को सशक्त बनाने और ग्रामीण विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उत्तराखंड की सहकारी समितियों और उनके कर्मचारियों के लिए यह नियमावली एक नई उम्मीद की किरण है, जो उन्हें आर्थिक स्थिरता और प्रगति की ओर ले जाएगी।

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