राष्ट्र सबसे पहले, बाकी सब बाद मेंः मुख्यमंत्री

देहरादून। मेरे लिए मेरे पिता मेरे पथ प्रदर्शक और प्रेणयता रहे हैं आज भी जब कोई मुश्किल फैसला लेना होता है तो उनकी शिक्षा मेरे बहुत काम आती है। एक सैनिक के जीवन में अनुशासन कठोर मेहनत और कर्तव्य निष्ठा का मतलब क्या होता है? यह मैंने अपने पिता से ही सीखा है।
यह बात बुधवार को मुख्यमंत्री धामी ने अपने स्वर्गीय पिता शेर सिंह धामी की पांचवी पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित सैनिक सम्मान समारोह में कहीं। उन्होंने कहा कि वह कहते थे कि सैनिक के जीवन में जो अनुशासन और कठोर श्रम शक्ति की जरूरत होती है वह सिर्फ सैनिकों के लिए ही जरूरी नहीं है व्यक्ति चाहे किसी भी क्षेत्र में काम करें यह बातें उनकी जिंदगी में भी सबसे अधिक महत्व की होती है।
पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पहले राष्ट्र हित और उसके बाद ही सब कुछ यह बात वह हमेशा कहा करते थे। आज भी उनके द्वारा दी गई शिक्षा मेरे लिए मार्ग प्रदर्शन का काम करती है। में अपने कठिन से कठिन फैसले जन भावनाओं को समझ कर और राष्ट्र तथा समाज हित को सर्वाेच्च प्राथमिकता पर रखकर करता हूं।
उन्होंने कहा कि अब वह हमारे बीच नहीं है मेरी माता जी से हर बार उनकी पुण्यतिथि पर पूछता हूं कि हमें क्या करना चाहिए? उनकी भावना को जान समझ कर हमने इस अवसर पर यह सैन्य सम्मान समारोह आयोजित किया है। इस समारोह मैं मेरे पिताजी के साथ काम करने वाले अनेक लोग मौजूद हैं जो उनके बारे में सब कुछ जानते हैं। मैं सैन्य परिवार से हूं इसलिए उनकी भावनाओं और समस्याओं के बारे में जनता समझता हूं। सैनिकों को वह सम्मान मिलना ही चाहिए जिसके वह हकदार है। इस अवसर पर उन्होंने सभी सैनिकों व वीरांगनाओं का सम्मान भी किया तथा उनके साथ उनकी मां भी मौजूद रही।

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