सैन्यभूमि उत्तराखण्ड में शहीद सैनिकों के आश्रितों के लिए बड़ी राहत

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देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने शहीद सैनिकों के परिवारों के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब शहीद सैनिकों के आश्रितों को सरकारी सेवाओं में अनुकंपा के आधार पर आवेदन करने के लिए 2 साल के बजाय 5 साल का समय मिलेगा। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 19 फरवरी को हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सम्पूर्ण मंत्रिमण्डल का आभार जताया। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की इस नीति के तहत अब तक 27 शहीद सैनिकों के परिवारों को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी दी जा चुकी है। नई व्यवस्था से भविष्य में और अधिक परिवारों को राहत मिलेगी और वे सरकारी सेवाओं में रोजगार प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह फैसला शहीदों के परिवारों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता और सम्मान को दर्शाता है। इस निर्णय से न केवल परिवारों को आर्थिक संबल मिलेगा, बल्कि उन्हें समाज में एक सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर भी प्राप्त होगा।
ज्ञात हो कि उत्तराखंड सरकार ने 20 नवंबर 2018 को अधिसूचना जारी कर भारतीय सेना और अर्द्धसैनिक बलों के उन शहीद सैनिकों (जो उत्तराखंड के स्थायी निवासी थे) के परिवारों के लिए सरकारी सेवाओं में अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान किया था। इसके तहत, जिलाधिकारी कार्यालयों में समूह ‘ग’ और ‘घ’ के दो-दो पद सृजित किए गए थे। पहले के नियमों के अनुसार, शहीद सैनिक के बैटल कैजुल्टी प्रमाण पत्र जारी होने की तिथि से 2 वर्ष के भीतर उनके आश्रितों को जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास कार्यालय में आवेदन करना अनिवार्य था लेकिन कई परिवार इस अवधि में आवेदन नहीं कर पाते थे, जिससे वे इस योजना का लाभ लेने से वंचित रह जाते थे। शहीद सैनिकों के परिवारों को अपने प्रियजन को खोने के बाद इस मानसिक आघात से उबरने में काफी समय लगता है। इस दौरान वे कई प्रशासनिक प्रक्रियाओं को पूरा नहीं कर पाते थे, जिससे वे तय समयसीमा में आवेदन नहीं कर सकते थे। इसके अलावा, कई शहीदों के बच्चे उस समय कम उम्र के होते हैं और वे 2 साल के भीतर नौकरी के लिए आवेदन करने योग्य नहीं हो पाते थे। इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री धामी ने 26 जुलाई 2024 को कारगिल विजय दिवस के अवसर पर इस समयसीमा को बढ़ाकर 5 वर्ष करने की घोषणा की थी। अब कैबिनेट से इस फैसले को मंजूरी मिलने के बाद यह नियम लागू कर दिया गया है।

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