पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र चैरासी कुटिया

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देहरादून। ऋषिकेश स्थित महर्षि महेश योगी की विरासत चैरासी कुटिया पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। महर्षि महेश योगी ने ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम क्षेत्र में 60 के दशक में शंकराचार्य नगर (चैरासी कुटिया) की स्थापना की थी। प्रसिद्ध अमेरिकन म्यूजिकल ग्रुप बीटल्स ग्रुप के चार सदस्य जॉन लिनोन, पॉल मेकार्टनी, जार्ज हेरिशन व रिगो स्टार वर्ष 1967-68 में पूरे एक साल इस केंद्र में रहे और भावातीत ध्यान की दीक्षा ली थी। बीटल्स ग्रुप के इन सितारों ने यहां रहते हुए महर्षि महेश योगी के सानिध्य में 48 गीतों की रचना की। इनमें से 18 गाने उनकी प्रसिद्ध एलबम द व्हाइट में शामिल किए गए। इन गानों ने पूरी दुनिया में धूम मचाई। तब से इस स्थान को पूरी दुनिया में बीटल्स की तपस्थली के रूप में भी जाना जाता है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार चैरासी कुटिया के विकास की योजना पर काम किया जा रहा है। इस परिसर के सबसे आखिर में मेडिटेशन हॉल और 84 कुटिया स्थित है। यह एक भवन है जिसमें 84 छोटे-छोटे कमरे हैं जिसमें साधक ध्यान लगाते थे। असल में इन्हीं कुटिया के नाम पर इस आश्रम का नाम चैरासी कुटिया पड़ा। कमरे बहुत छोटे किंतु रोशनीदार और हवादार हैं। योग के 84 मुद्राओं पर आधारित इन चैरासी कुटिया का निर्माण किया गया था। इसको पार करते ही एक खुला प्रांगण है जो कि मेडिटेशन हॉल है। यहां पर एक साथ कई लोग मेडिटेशन कर सकते हैं। द बीटल्स बैंड में 4 सदस्य थे जिनके नाम जॉन लेनन, पॉल मकार्टने, जॉर्ज हैरिसन और रिंगो स्टार है।
महर्षि महेश योगी ने वेदों में निहित ज्ञान पर अनेक पुस्तकों की रचना की। महर्षि महेश योगी ने चैरासी कुटिया आश्रम की स्थापना 1961 में 7.5 हेक्टर भूमि वन भूमि पर की थी। यह आश्रम चारों ओर से प्राकृतिक वातावरण से घिरा हुआ है। यहाँ पर महेश योगी ने योग और ध्यान लगाना सीखा था। महर्षि ने इस स्थान को इसलिए चुना था क्योंकि इस स्थान पर गंगा नदी की पवन जलधारा की आवाज साफ-साफ सुनी जा सकती है। जब विट्ठलस बैंड की लोकप्रियता काफी खत्म हो गई थी जिस कारण विपक्ष ब्रदर काफी तनाव में आ गए थे तनाव मुक्त करने के लिए अपने बैंड के सभी साथियों को लेकर फरवरी 1968 में अमेरिका के मशहूर बैंड “बीटल्स” के सदस्य जॉन लेनोन, पॉल मैकार्टनी, जॉर्ज हैरीसन और रिंगो स्टार अपने परिवार और करीब 300 अन्य लोगों के साथ फरवरी 1968 में भारत आए थे। बीटल्स बैंड के सभी सदस्य घूमते हुए ऋषिकेश स्वर्ग आश्रम स्थित महर्षि महेश योगी की तपस्थली 84 कुटी पहुंचे, जहां पर उन्होंने देखा कि यह चारों तरफ शांति का वातावरण बना हुआ है। उन्होंने वही आश्रम में रहने की इच्छा जाहिर की।
महर्षि द्वारा बताया गया कि आश्रम में रहने वाले लोगों के कुछ नियम हंै। उनको इन नियमों का पालन करना पड़ता है। आश्रम में रहने वाले अनुयायियों को बाहर से लाई हुई वस्तुओं को ग्रहण करने की अनुमति नहीं है। यहीं पर खाने पीने की वस्तुओं को उगाया जाता है। गेहूं को उगाया जाता है और आश्रम में ही बनी हुई आटे की चक्की में गेहूं को पीसकर आटे का भोजन आश्रम में स्थित रसोई में बनाया जाता है। आश्रम में कई प्रकार की सब्जियां भी उगाई जाती थी। इस तरह आश्रम में लगभग रोजाना 300-400 लोगों का भोजन बनता था जिसे वहां पर रहने वाले अनुयाई ग्रहण करते थे। महर्षि महेश योगी की तपस्थली 84 कुटी में रहने के पश्चात बीटल्स ब्रदर्स ने कई धुने बनाई जो पूरे विश्व में काफी प्रसिद्ध हुई। इन दोनों के कारण बीटल्स बैंड पूरे विश्व में काफी प्रसिद्ध हुआ। यहां पर देश-विदेश से भारी मात्रा में लोग दर्शन करने और घूमने के लिए आते हैं। मेडिटेशन के लिए भी यह स्थान काफी उपयुक्त माना गया है। महर्षि महेश योगी ने हिमालय क्षेत्र में दो वर्ष का मौन व्रत करने के बाद सन् 1955 में टीएम तकनीक की शिक्षा देना आरम्भ की। सन् 1957 में उन्होंने टीएम आन्दोलन आरम्भ किया और इसके लिये विश्व के विभिन्न भागों का भ्रमण किया। महर्षि महेश योगी द्वारा चलाया गए आंदोलन ने उस समय जोर पकड़ा जब रॉक ग्रुप बीटल्स ने 1968 में उनके आश्रम का दौरा किया।

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