वर्ष 2024 में आपदाओं से जख्मी हुआ उत्तराखंड

1 min read

-सड़क दुर्घटनाओं ने लील ली कई लोगों की जान

देहरादून। वर्ष 2024 के विदा होने के साथ कई ऐसी यादें हैं जो दिलों को झकजोर गई। ये सभी यादें आपदा के जख्मों की हैं। वर्ष 2024 में बारिश, बादल फटना, लैंडस्लाइड जैसी कई घटनाएं हुई, जिसमें सात दर्जन से अधिक लोगों की जान गई, साथ ही कई लोग घायल भी हुये। इसके साथ ही इन आपदाओं से प्रदेश का इंफ्रास्ट्रक्चर भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ। उत्तराखंड में हर साल सैकड़ों लोग प्राकृतिक आपदाओं के चलते काल के गाल में समा जाते हैं, सैकड़ों करोड़ का नुकसान भी उत्तराखंड को प्राकृतिक आपदाओं से होता है। वर्ष 2024 के शुरू से लेकर के अब आखरी तक की तमाम घटनाओं और उनसे जुड़े आकंड़ों पर नजर डाले तो अलग-अलग घटनाओं की पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट रिपोर्ट के अनुसार अब तक 154 करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया जा चुका है, जिसका आकलन भी जारी है। साल 2024 में अगर अलग-अलग घटनाओं में हुई लोगों की मौतों की बात करें तो चारधाम यात्रा के दौरान 226 लोगों ने जान गंवाईं। 15 जून से शुरू हुए मानसून सीजन के बाद अलग-अलग जगह पर हुई प्राकृतिक घटनाओं के चलते सात दर्जन लोगों की जान गई, 28 लोग अब तक लापता बताए जा रहे हैं। प्राकृतिक आपदाओं से सबसे ज्यादा जान रुद्रप्रयाग जिले में गई, यहां 20 लोगों की मौत हुई। 2024 में राज्य में 1450 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं घटित हुईं, जिनमें कि कई लोगों की जान गई। इस तरह साल भर में अलग-अलग घटनाओं की बात करें तो यात्रा सीजन के दौरान प्राकृतिक आपदाओं से और सड़क दुर्घटनाओं से लापता लोगों को मिलाकर 596 लोगों की जान गई है।
आपदाओं के लिहाज से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील हिमालय राज्य है। यहां साल भर प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं। साल 2024 में भी उत्तराखंड ने कई आपदाओं का सामना किया। प्राकृतिक घटनाओं के चलते सात दर्जन से अधिक लोगों की जान गई। 28 लोग अब तक लापता बताए जा रहे हैं। प्राकृतिक आपदाओं से सबसे ज्यादा जान रुद्रप्रयाग जिले में गई, जहां 20 लोगों की मौत हुई। उत्तरकाशी जिला इस बार मानसून सीजन की शुरुआत से ही आपदाओं से घिरा रहा। 15 जून से शुरू होने वाले मानसून सीजन में पहली आपदा 25 जुलाई की रात यमुनोत्री धाम से शुरू हुई। यहां 26 जुलाई की सुबह भयावह मंजर था। यमुनोत्री धाम में आई इस आपदा में कई घरों और मवेशियों का नुकसान पहुंचा। आपदा प्रबंधन के आंकड़ों के आंकलन में यमुनोत्री धाम में 18 करोड़ का नुकसान हुआ। इसी तरह से गंगोत्री में भी मानसून सीजन के दौरान 9 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। यही नहीं उत्तरकाशी जिले में एक बार फिर वरुणावत पर्वत ने भी लोगों को डराया। अगस्त महीने के आखिरी से शुरू हुए भूस्खलन ने सितंबर की शुरुआत तक उत्तराखंड सरकार के साथ ही आपदा प्रबंधन का ध्यान खींच लिया। तब वरुणावत पर्वत के दोबारा ट्रीटमेंट के लिए तकरीबन 5 करोड़ का बजट जारी किया गया।
टिहरी जिला भी साल 2024 में आपदा की जद में रहा। टिहरी जनपद में बूढ़ाकेदार आपदा इस साल की सबसे दर्दनाक आपदा रही। जुलाई महीने के आखिर में तकरीबन 24 से 27 जुलाई को टिहरी के घनसाली क्षेत्र में पड़ने वाले बूढ़ाकेदार क्षेत्र में लगातार आई एक के बाद एक आपदा ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया। कई दिनों तक यहां रुक रुक कर भूस्खलन होता रहा। आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों की बात करें को केदार घाटी भी इस साल इससे अधिक प्रभावित हुई। साल 2024 में जुलाई महीने के आखिरी सप्ताह ने उत्तराखंड को बड़े जख्म दिए. जुलाई महीने की आखिरी सप्ताह में मानसून अपने चरम पर था। पूरे प्रदेश भर से बारिश, लैंडस्लाइड की घटनाओं की सूचना प्राप्त हो रही थी, लेकिन 31 जुलाई को आई एक सूचना ने एक बार फिर से 2013 की यादें ताजा कर दी। जुलाई महीने के आखिरी सप्ताह में जब मानसून अपने चरम पर था तो इस समय चारधाम यात्रा भी पीक पर चल रही थी। केदार घाटी में उस समय अलग-अलग जगह पर तकरीबन 15 से 20000 लोग केदारनाथ के लिए यात्रा कर रहे थे, लेकिन एक सप्ताह से लगातार हो रही बारिश के बाद 31 जुलाई सुबह 6 से 7 बजे के बीच में केदारनाथ पैदल मार्ग पर पड़ने वाले भीमबली में पांच जगहों पर लैंडस्लाइड हुआ, जिसने कई हजार यात्रियों की जान जोखिम में डाल दिया। यहां से आई तस्वीरें बेहद डरने वाली थी। तकरीबन 4 दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना की भी मदद लेनी पड़ी। इस तरह से तकरीबन एक सप्ताह के रेस्क्यू अभियान में 15000 लोगों को घाटी से बाहर निकाल गया। कुमाऊं में भी बारिश व भूस्खलन से भारी नुकसान हुआ। सड़क दुर्घटनाओं में कई लोगों की जान गई।

Copyright, Mussoorie Times©2023, Design & Develop by Manish Naithani 9084358715. All rights reserved. | Newsphere by AF themes.