मोबाइल की रिंग टोन में गूंजेगा राष्ट्रीय खेल का एंथम

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देहरादून। 38वें राष्ट्रीय खेल का एंथम श्आन बान शान ले, शौर्य का प्रमाण लेश् जल्द ही आपको मोबाइल रिंग टोन में सुनाई दे सकता है। राष्ट्रीय खेल सचिवालय की ओर से इस संबंध में भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) को पत्र भेजा जा रहा है।
राष्ट्रीय खेल इस महीने की 28 तारीख से शुरू होने हैं। इसके लिए प्रचार अब तेज हो रहा है। राष्ट्रीय खेल के लिए आन बान शान ले, शौर्य का प्रमाण लेश् एंथम तैयार किया गया है। इसका शुभारंभ 15 दिसंबर 2024 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया था। इस एंथम को प्रचारित प्रसारित करने के लिए कई स्तरों पर कार्य किया जा रहा है। जो एंथम तैयार किया गया है, वह काफी लंबा है। ऐसे में प्रचार की दृष्टि से एंथेम के सिर्फ 30 सेकेंड के हिस्से का इस्तेमाल किया जाएगा।
कूड़ा गाड़ियों से लेकर एफएम तक का उपयोग होगाः नगर निकाय क्षेत्रों में रोजाना कूड़ा उठाने वाले वाहनों से भी राष्ट्रीय खेल का एंथम सुनाई दे सकता है। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। एफएम समेत अन्य सभी प्रचार माध्यमों के इस्तेमाल पर विचार किया जा रहा है। कोशिश ये ही है कि जिन जनपदों में राष्ट्रीय खेलों की प्रतियोगिताएं आयोजित की जानी हैं, वहां पर सफाई वाहनों व एफएम आदि से ज्यादा प्रचार किया जाए।
विशेष प्रमुख सचिव खेल व मुख्य कार्यकारी अधिकारी राष्ट्रीय खेल अमित सिन्हा का कहना है कि मोबाइल रिंगटोन में राष्ट्रीय खेलों का एंथम सुनाई दे, इसके लिए हमारी बीएसएनएल से  बात हुई है। अब आधिकारिक पत्र भी भेजा जा रहा है। वहां से जवाब आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह, सफाई वाहन हो या फिर एफएम हम राष्ट्रीय खेलों के प्रचार के लिए ज्यादा से ज्यादा माध्यमों का उपयोग करना चाहते हैं। इसके लिए तैयारी की जा रही है।
यह है राष्ट्रीय खेल का एंथम-आन बान शान ले, शौर्य का प्रमाण ले एकत्र सर्वश्रेष्ठ है मैदान में ना कोई विकल्प हो, संकल्प से शिखर तक विजय गाथा लिख दें आसमान में। पर्वतों की गोद में, गली-गली प्रमोद में देवभूमि की धरा अखंड ये हर घड़ी प्रयास में, आगमन की आस में मेजबान आज उत्तराखंड ये। उल्लास का यह पर्व है हर किसी को गर्व है मान हमको भारत विराट पर जीत की हो कामना खेल की हो भावना जीत का तिलक है हर ललाट पर। खेल है खिताब है, मेल है मिलाप है समग्र अपने देश की है एकता स्वागत सत्कार है अपने देश की है ये विशेषता। गूंज विजय नाद की, जोश में भरे सभी दहाड़ते हैं आज आसमान में। गरजते हैं जोर से जो आए हर ओर से ना कोई शिकन है ना गुमान है।

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