जर्मनी से वापस आएंगे चोल साम्राज्य के 1300 वर्ष पुराने ताम्र पत्र, शासकों ने शक्तिशाली हिन्दू साम्राज्य का किया था निर्माण

1 min read

नई दिल्ली। चोल साम्राज्य (Chola Empire) से जुड़े वे ताम्र पत्र देश में वापस आएंगे, जो 1300 साल पुराने हैं। इन ताम्र पत्रों पर राजाज्ञा लिखी हुई हैं। ये जर्मनी के लाइडन विश्वविद्यालय (Leiden University) में मौजूद हैं। ये अंग्रेजों के शासन के समय भारत से जर्मनी में ले जाए गए थे। मगर चोरी करके नहीं गए थे। भारत सरकार इन्हें वापस लाने के लिए गंभीर है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को इस पर काम करने के निर्देश दिए हैं। लोकसभा चुनाव के बाद इन्हें वापस लाने की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। यह पहल तमिलनाडु सरकार के अनुरोध पर हो रही है। तमिलनाडु सरकार ने इन ताम्र पत्रों को वापस लाने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया था। जर्मनी की सरकार इन्हें वापस देने के लिए राजी हो गई है। नवंबर से दिसंबर तक इनके वापस आने की उम्मीद है।
बता दें कि चोल प्राचीन भारत का एक राजवंश था। भारत और पास के अन्य देशों में तमिल चोल शासकों ने नौ वीं शताब्दी से 13वीं शताब्दी के बीच एक अत्यंत शक्तिशाली हिन्दू साम्राज्य का निर्माण किया था। राजराजा चोल उस समय के प्रतापी राजा हुए हैं।
उस समय के ताम्र पत्र हैं। उत्तर भारत के लोगों में चोल राजवंश को लेकर फिल्म ”पोन्नियन सेल्वन” के रिलीज के बाद जिज्ञाषा बढ़ी है। 2022 में यह फिल्म तमिल के अलावा हिंदी, मलयालम, कन्नड़ और तेलुगू में रिलीज हुई थी।
चोल साम्राज्य वर्तमान भारत के तमिलनाडु, केरल, ओडिशा से लेकर मालदीव, श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ देशों तक फैला हुआ था। देश विदेश के कई इतिहासकारों ने चोल साम्राज्य के बारे में लिखा है। इस साम्राज्य की स्थापना कावेरी नदी के किनारे हुई थी।
चोल राजाओं का सिक्का कई देशों में चलता था। नौवीं से 13वीं शताब्दी के बीच चोल साम्राज्य मिलिटरी, पैसे, लिटरेचर, संस्कृति और कृषि के मामले में काफी तरक्की कर चुका था। चोल साम्राज्य के सबसे मशहूर शासक राजराजा प्रथम ने कलिंग (ओडिशा), सिलान (श्रीलंका) और मालदीव तक फैला दिया था।
राजराजा प्रथम ने ही चोल साम्राज्य की राजधानी तंजौर में मशहूर बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण कराया था। कांजीवरम में बनने वाली मशहूर सिल्क की साड़ी, कांचीपुरम का मंदिर और तमिल संस्कृति का संगम काल भी चोल साम्राज्य के समय में हुए थे। तमिल के अलावा हिंदी, मलयालम, कन्नड़ और तेलुगू में रिलीज की जाएगी।

Copyright, Mussoorie Times©2023, Design & Develop by Manish Naithani 9084358715. All rights reserved. | Newsphere by AF themes.