धामी जी बिना समकक्षता के उत्तराखण्ड मदरसा बोर्ड किस काम का

देहरादून। धामी जी बिना मान्यता के अवैध रूप से चल रहे मदरसों को सील किया जा रहा है। प्रदेश में लगभग 200 से अधिक मदरसों को सील कर दिया गया है लेकिन यहां यह कहना है कि जब अवैध रूप से चल रहे मदरसों को सील किया जा रहा है क्या ऐसे मदरसो बोर्ड को भी बंद नहीं किया जाना चाहिए जिसकी दी गई डिग्री की कोई मान्यता नहीं है और न ही उन मदरसों के पढ़ने वाले बच्चों का कोई भविष्य है जिसकों उत्तराखण्ड मदरसा बोर्ड ने मान्यता दी हो। जब से उत्तराखण्ड मदरसा बोर्ड बना है तबसे उत्तराखण्ड मदरसा बोर्ड से मान्यता लेने वाले मदरसे संचालक समकक्षता की लड़ाई लड़ रहे हैं। जब मदरसा बोर्ड की डिग्री की कोई अहमियत नहीं है तो सरकार हर साल करोड़ो रूपये इस बोर्ड पर क्यों खर्च कर रही है?
उत्तराखण्ड में 466 मदरसे ऐसे है जिन्होंने उत्तराखण्ड मदरसा बोर्ड से मान्यता ले रखी है और यह मदरसे मुंशी, मौलवी, कामिल, आलिम व फाजिल की शिक्षा दे रहे है लेकिन इन मदरसों की शिक्षा की किसी अन्य बोर्ड में कोई मान्यता नहीं है। इन मदरसों से पढ़ने के बाद कोई भी छात्र अन्य बोर्ड में दाखिला नहीं ले पा रहा है। जिसकों लेकर मदरसा संचालक लम्बे समय से समकक्षता की लड़ाई लड रहे है। मदरसा संचालक कई मंचों पर अपनी मांग उठा चुके हैं लेकिन कहीं भी कोई भी हल नहीं निकला है। वर्ष 2018 में तात्कालीन मुख्यमंत्री ने समकक्षता लाने का आश्वासन दिया था लेकिन वह आश्वासन भी ठंडे बस्ते में चला गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने में कई बार समकक्षता का मामला आया है लेकिन सरकार ने बिना मान्यता के अवैध रूप से चल रहे मदरसों के खिलाफ तो कार्रवाई की है और 200 से अधिक अवैध मदरसों को सील किया है लेकिन मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ रहे बच्चों के भविष्य के बारे में सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है।

क्या है समकक्षता
देहरादून। समकक्षता क्या है यहां यह भी बताना जरूरी है। उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड मुंशी व मौलवी का 10 वीं के समकक्ष मान्यता देता है उत्तर प्रदेश में मदरसा बोर्ड से मुंशी व मौलवी की पढ़ाई करने के बाद बच्चा उत्तर प्रदेश शिक्षा बोर्ड में 11 वीं प्रवेश ले सकता है और कामिल करने के बाद युनिवर्सिटी में बीए, आलिम करने के बाद एम तथा फाजिल करने के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकता है। परंतु उत्तराखण्ड मदरसा बोर्ड में समकक्षता न होने के कारण मदरसों में पढ़ने वाला बच्चा अन्य बोर्ड में प्रवेश नहीं ले सकता है।

मुंशी व मौलवी
यह मदरसा शिक्षा प्रणाली में एक प्रारंभिक स्तर का प्रमाण पत्र है, जो आमतौर पर 10वीं कक्षा के समकक्ष माना जाता है.
कामिल
यह मदरसा शिक्षा प्रणाली में एक उच्च स्तर का प्रमाण पत्र है, जो आमतौर पर 12वीं कक्षा के समकक्ष माना जाता है.
आलिम
यह मदरसा शिक्षा प्रणाली में एक डिग्री स्तर का प्रमाण पत्र है, जो आमतौर पर स्नातक (बैचलर्स) स्तर के समकक्ष माना जाता है.
फाजिल
यह एक स्नातकोत्तर स्तर की डिग्री है, जो इस्लामी अध्ययन में उच्च शिक्षा का प्रतीक है

उत्तराखण्ड के कई मदरसों ने ले रखी है उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड से मान्यता
देहरादून। उत्तराखण्ड मदरसा बोर्ड में समकक्षता न होने के कारण उत्तराखण्ड के कई मदरसों ने उत्तर प्रदेश के मदरसा बोर्ड से मान्यता ले रही है या फिर मदरसा संचालक ऐसा करते है अपने यहां पढ़ने वाले बच्चों को उत्तर प्रदेश के मदरसों से परीक्षा दिलाते है जिससे की उनका भविष्य सुरक्षित हो।

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