राज्य के विशेष पैकेज छीनते वक्त खामोश रहे कांग्रेसी सांसद
देहरादून। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चैहान ने कहा कि कांग्रेस को न बाबा केदार के अस्तित्व और न ही आपदा पीड़ितों के दर्द से कोई वास्ता है, क्योंकि वह केदारनाथ को राजनीति के मंच के रूप मे देख रही है। कांग्रेस अध्यक्ष के बयान पर पलटवार करते हुए चैहान ने कहा कि केदारनाथ मे चले रेस्क्यू आपरेशन मे बेहतर प्रदर्शन कांग्रेस के लिए सीख है। उन्होंने कहा कि सत्ता मे रहते कांग्रेसी सांसद राज्य हितों की आवाज नही बन पाए और हिमालयी राज्यों पर किसी दूसरे राज्य के सांसद के वक्तव्य पर इतरा रही है। उन्होंने कहा कि जब राज्य का विशेष पैकेज तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने छीन लिया था तो कांग्रेसी चुप्पी साधकर बैठे थे।
चैहान ने कहा कि केदारनाथ मे आई आपदा पर जिस तरह से समय पर रेस्क्यू और प्रबंधन किया गया वह केंद्र सरकार के साथ बेहतर समन्वय का नतीजा था। केंद्र ने समय पर हेलीकापटर और अन्य सुविधाये मुहैया कराये। 20 हजार लोगों का समय पर रेस्क्यू किया गया और जन हानि नही हुई।
चैहान ने कहा कि राज्य मे आपदा के लिए भी केंद्रीय बजट मे प्रावधान किया गया है। वहीं सरकार प्रभावित गाँवों के पुनर्वास के लिए भी कार्य कर रही है। 2013 की आपदा मे असफल प्रबंधन और लापरवाही की दोषी कांग्रेस को केदारनाथ आपदा पर बोलने का हक नही है। उन्होंने कहा कि तब जख्मों पर मरहम लगाने के बजाय कांग्रेस पुनर्निर्माण कार्यों के बजट को ठिकाने लगाने मे जुटी थी।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आपदा से निपटने के कार्यों की खुद मॉनिटरिंग करते रहे और नतीजा सुखद रहा। पीएम मोदी और गृह मंत्री आपदा की स्थिति पर नजर रखे रहे और फीड बैक लेते रहे। सांसद, विधायक और भाजपा संगठन आपदा पीड़ितो के बीच रहे, वहीं कांग्रेसी आपदा मे अवसर तलाशते हुए केदारनाथ तक राजनैतिक यात्रा निकालने मे मशगूल रहे। उन्हे न आपदा और न पीड़ितों से मतलब रहा, बल्कि वह केदारनाथ उप चुनाव के लिए राजनैतिक जमीन तलाश रही थी।
चैहान ने अडानी मामले मे कांग्रेस के देशव्यापी प्रदर्शन को खीज बताया और कहा कि इसका हस्र भी राहुल गाँधी की कथित भारत जोड़ो यात्रा के जैसे होगा। उन्होंने कहा कि विदेशों की शह पर देश मे आर्थिक अराजकता फैलाने वालों के मंसूबों को देशवासी माफ नही करेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के उत्तराखंड मे समय समय पर होने वाले अभियान के बारे मे लोग भली भाँति जानते हैं और शुरू होने से लेकर खत्म होने तक उनकी मियाद सीमित रही है। कांग्रेस पर न जनता और न ही कार्यकर्ताओ का भरोसा है और वह अस्तित्व की लडाई लड़ रही है।