नगरनिगम ऋषिकेश ने वन विभाग की भूमि को कराया अतिक्रमण मुक्त

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देहरादून। ऋषिकेश नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत शिवाजी नगर में एम्स के पीछे बच्चों को जल्दी ही खेलने का पार्क मिलेगा। पार्क में बच्चों के लिए मनभावन झूले भी लगेंगे। नगर निगम ने करीब एक बीघा वन भूमि पर बाउंड्री वॉल कर पार्क का अस्थाई निर्माण करना शुरू कर दिया है।
ऋषिकेश नगर निगम के वार्ड नंबर 28, गली नंबर 29 शिवाजी नगर एम्स के पीछे रंभा नदी किनारे करीब एक बीघा वन भूमि पर कब्जा करने के लिए भू माफिया लंबे समय से प्रयास कर रहे थे। भू-माफियाओं ने कुछ दिन पहले बाउंड्री वॉल कर भूमि पर कब्जा करने की कोशिश भी की। लेकिन सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम ने बाउंड्री वॉल को तोड़कर वन भूमि को कब्जा मुक्त किया। दोबारा भूमि पर कब्जा ना हो, इसके लिए वन विभाग और नगर निगम ने आपस में तालमेल से भूमि पर बच्चों के खेलने के लिए अस्थाई रूप से पार्क विकसित करने का निर्णय लिया। नगर निगम के नगर आयुक्त गोपालराम बिनवाल के साथ स्थानीय पार्षद लव कंबोज, पार्षद अभिनव मलिक, पार्षद सुरेंद्र सिंह नेगी ने नारियल तोड़कर पार्क निर्माण का कार्य शुरू किया है।
नगर आयुक्त गोपाल राम बिनवाल ने बताया कि वन भूमि, नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत है और इस भूमि पर कब्जा ना हो, इसके लिए पार्क का निर्माण किया जा रहा है। विभाग ने पार्क निर्माण के लिए एनओसी भी नगर निगम को दे दी है। पार्क में जहां बच्चों को खेलने का मौका मिलेगा, वहीं सार्वजनिक कार्यक्रम भी हो सकेंगे।
बता दें कि कुछ दिनों पूर्व में जब इस वन भूमि पर लोग अतिक्रमण कर कब्जा कर रहे थे, उस समय शिकायत पर वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर अवैध कब्जे को ध्वस्त किया था। इसके बावजूद भी जब कब्जेधारी बाज नहीं आए तो निगम ने वन विभाग से बात कर अस्थाई पार्क का निर्माण करवाने का फैसला किया है।
रंभा, इंद्र लोक की एक खूबसूरत अप्सरा थी। सतयुग काल में पौराणिक सोमेश्वर मंदिर के समीप बैठकर सुखदेव नामक ऋषि भगवान शिव की तपस्या कर रहे थे। ऋषि के जप की आवाज इंद्रलोक तक पहुंची तो इंद्र को स्वर्ग लोक के सिंहासन खोने का डर सताने लगा। इंद्र ने उनकी तपस्या भंग करने के लिए सबसे खूबसूरत अप्सरा रंभा को ऋषि के पास भेजा। जिसके बाद ऋषि ने क्रोधित होकर रंभा को श्राप दिया कि तुम जितनी सुंदर दिखती हों, उतनी ही बदसूरत नदी के रूप में जानी जाओगी। जिसके बाद रंभा ने फिर से ऋषि की प्रार्थना की, जिसके बाद ऋषि ने कहा कि मैं अपना श्राप वापस तो नहीं ले सकता, लेकिन तुम्हें एक वरदान देता हूं कि तुम जतनी भी गंदी हो जाओ, लेकिन तुम आखिर में गंगा में समाओगी, जहां तुम्हे मोक्ष मिलेगा। जिसके बाद से यहां से रंभा नामक काली नदी बहती है। इस नदी का वर्णन स्कंद पुराण के केदारखंड में मिलता है।

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