हाकम को पहले की सरकारों में ही भेजा जाता जेल, तो नहीं कर पाता खेल

देहरादून। नकल माफिया हाकम सिंह के खिलाफ जो सख्ती 2022 के बाद से होना शुरू हुई, यदि यही सख्ती 2017 के बाद से होना शुरू होती, तो हाकम सिंह नकल का जाल न फैला पाता। 2017 के बाद से सरकार की हाकम पर विशेष कृपा रही। हाकम के परिजनों के इलाज को बाकायदा हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराए गए। नकल के मामलों में हरिद्वार में दर्ज हुए मुकदमों पर एफआर लगाई गई। जानकारों के मुताबिक यदि हाकम सिंह के खिलाफ पहले ही धामी सरकार वाली सख्ती दिखा दी जाती, तो हाकम सिंह कभी नकल का जाल न फैला पाता।
हाकम सिंह को अपने नकल के जाल को फैलाने में यही शह मदद देती रही। रसूखदारों के साथ हाकम सिंह की गलबहियों ने उसके नकल के कारोबार को दिन दोगुना रात चौगुना आगे बढ़ाने में मदद दी। पुलिस को हाकम की चाल पर शक हो गया था। इसी शक में हाकम सिंह के खिलाफ हरिद्वार पुलिस ने केस दर्ज किए। जांच पड़ताल शुरू की। इससे पहले की पुलिस हाकम सिंह को उठा पाती, राजनीतिक दबाव में हाकम सिंह से जुड़े सभी केस में एफआर लगा दी गई। सभी केस बंद कर दिए गए। इसके बाद हाकम सिंह ने फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा और तेजी के साथ नकल का जाल फैलाना शुरू किया।
हाकम सिंह के खिलाफ नकल का ये जाल धामी सरकार के आने के बाद टूटा। न सिर्फ जाल टूटा, बल्कि हाकम की हर तरह से कमर तोड़ने का काम भी किया गया। उसके नकल कारोबार को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने नेस्तानाबूद किया। उसे और उसके साथियों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा। उसकी अवैध संपत्तियों को ध्वस्त करने के साथ ही संपत्तियों को सरकार में निहित किया। इस बार भी हाकम ने नकल का अपने दिमाग में प्लान बनाया ही था कि उससे पहले ही धामी सरकार ने उसे धर दबोचा। राज्य के बेरोजगार युवा यही कह रहे हैं कि यदि हाकम सिंह के खिलाफ यही सख्ती 2017 में दिखाई जाती तो हाकम बेरोजगारों का हक न मार पाता और 2015, 2016, 2017, 2018, 2019, 2020 में भी राज्य में पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित हो पाती।

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